नमस्ते दोस्तों आज लेख में आपको sawariya seth के बारे में बताऊँगा। चित्तौड़गढ़ से लगभग 40 किलोमीटर दूर स्थित है। इस मंदिर में स्थित भगवान श्री कृष्ण को सांवरिया सेठ के नाम से पुकारा जाता है और यह स्थान राजस्थान में बहुत प्रसिद्ध है।
सांवरिया सेठ मंदिर का इतिहास – sawariya seth mandir rajasthan
सांवरिया सेठ मंदिर का इतिहास लगभग 250 वर्ष पुराना है। जब यह मंदिर आरंभ में बहुत छोटा था और समय के साथ क्षीण होता गया। बाद में मंदिर का पुनर्निर्माण करके उसे शानदार और भव्य बनाया गया। यहां भगवान श्री कृष्ण को सांवलियाजी, सांवरिया सेठ सांवरा सेठ या सेठों के सेठ के नाम से भी जाना जाता है।
सांवरिया सेठ मंदिर का धार्मिक इतिहास – sawariya seth mandir history
सांवरिया सेठ मंदिर के बारे में एक प्राचीन कथा है। 1840 में दूधवाले भोलाराम गुर्जर ने एक सपना देखा। जिसमें उन्होंने भादसोड़ा-बगुंड के चापर गांव में तीन दिव्य मूर्तियों को देखा। उन्होंने उस जगह की खुदाई की जहां उन्होंने सपना देखा था और वहां भगवान कृष्ण की तीन सुंदर मूर्तियाँ मिलीं। इन मूर्तियों से तीन मंदिर बने और यहां पूजा करने वाले भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
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सांवरिया सेठ मंदिर की वास्तुकला
सांवरिया सेठ मंदिर की वास्तुकला उत्तर भारत के हिंदू मंदिरों की स्थापत्य शैली से सम्बंधित है। मंदिर के गर्भगृह में भगवान श्री कृष्ण की आकर्षक और शानदार मूर्ति है। जिसका आकार बहुत बड़ा है। जिससे धार्मिक अनुष्ठानों का संचालन आराम से होता है।
मंदिर के ऊपर एक विशाल सीकरा है और मंदिर की छत और फर्श परंपरागत हिन्दू मंदिरों के अनुसार बनाए गए हैं। इस परिसर में अन्य देवी-देवताओं के भी छोटे-छोटे मंदिर हैं और मंदिर की दीवारों पर स्थानीय देवी-देवताओं की मूर्तियों को आकर्षक ढंग से तराशा गया है जो इस मंदिर की सुंदरता को ओर बढ़ाते हैं।
सांवरिया सेठ मंदिर खुलने का समय
सांवरिया सेठ मंदिर रोजाना सुबह 5:30 बजे खुलता है और रात 11:00 बजे बंद हो जाता है।
मंदिर में पूजा-पाठ और दर्शन समय
• मंदिर में सुबह की पूजा – 5:30 बजे।
• मंदिर में सुबह के दर्शन – 5:30 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक।
• मंदिर दोपहर 12:00 बजे से 2:30 बजे तक बंद रहता है।
• मंदिर में शाम के दर्शन – 2:30 बजे से रात 11:00 बजे तक।
• मंदिर में शाम की पूजा – 8:00 बजे से 9:15 बजे तक।
• मंदिर में भजन और कीर्तन – रात 9:15 बजे से 11:00 बजे तक।
सांवरिया सेठ मंदिर के त्योहार
सांवरिया सेठ मंदिर में हिन्दुओं के सभी त्योहारों का आयोजन होता है। लेकिन इस मंदिर में श्री कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार विशेष धूमधाम से मनाया जाता है। जन्माष्टमी के दिन पूरे मंदिर क्षेत्र को सजाया जाता है और इस दिन मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ इकट्ठा होती है। जहां सभी लोग मंदिर क्षेत्र में भजन-कीर्तन का आनंद लेते हैं। सभी व्यक्ति श्री कृष्ण जन्माष्टमी को उत्साह और हर्ष के साथ मनाते हैं।
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सांवरिया सेठ मंदिर के आस पास घूमने की जगह
1) चित्तौड़गढ़ किला
जिसे चित्तौड़गढ़ या चित्तौड़ का किला के नाम से भी जाना जाता है। प्राचीन समय में मेवाड़ की राजधानी थी। यह किला एक ऊँची पहाड़ी पर स्थित था और इसमें चार महल 19 बड़े-बड़े मंदिर, 20 जल निकाय, 4 स्मारक और कुछ विजय मीनारें शामिल थी। यह किला यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल के रूप में घोषित किया गया है।
2) कालिका माता मंदिर
चित्तौड़गढ़ नगर पालिका के भीतर चित्तौड़ किले में स्थित एक प्रमुख हिंदू मंदिर है। जो आठवीं शताब्दी में निर्मित हुआ था। मंदिर की आदि में यह एक सूर्य मंदिर था। लेकिन समय के साथ यह क्षीण हो गया था। राणा कुंभा ने इसे पुनर्निर्माण किया और इसमें एक देवी की मूर्ति स्थापित की। बाद में इस देवी को कालिका माता के रूप में पुनर्निर्माण किया गया और इसे मोरी पंवार कुल की कुलदेवी के रूप में माना जाता है।
3) विजय स्तम्भ
चित्तौड़ किले के भीतर, एक शानदार विजय स्मारक स्थित है। जिसे सन 1448 ईस्वी में मेवाड़ के हिंदू राजपूत राजा राणा कुंभा ने मालवा और गुजरात सल्तनत की सेनाओं के खिलजी सुल्तान महमूद के खिलाफ विजय प्राप्त करने के उद्देश्य से बनाया था। यह स्तम्भ राजस्थान में विजय का प्रतीक माना जाता है।
4) समाधिश्वर मंदिर
राजस्थान के चित्तौड़गढ़ में स्थित एक प्रमुख शिव मंदिर है। जिसे भगवान शिव के समर्पित किया गया है। इस मंदिर में भगवान शिव को समाधिश्वर (समाधि वाले देवता के रूप) के नाम से पुकारा जाता है। इस मंदिर का निर्माण 11वीं शताब्दी में हुआ था और 15वीं शताब्दी में इसे पुनः जीर्णोद्धार किया गया था।
5) राणा कुंभा पैलेस
15वीं शताब्दी में राणा कुंभा पैलेस का निर्माण हुआ था। जहां चित्तौड़गढ़ के शासक राणा कुंभा अपने परिवार के साथ शाही जीवन बिताते थे। इस महल की आकर्षक बनावट और सुंदर कलात्मक वास्तुकला पर्यटकों के बीच में बहुत लोकप्रिय है। राणा कुंभा पैलेस चित्तौड़ किले के अंदर स्थित सबसे पुरानी संरचना है।
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निष्कर्ष
आशा है कि मैंने राजस्थान के सांवरिया सेठ मंदिर के बारे में आपको संपूर्ण जानकारी प्रदान की है। इस पोस्ट में मैंने sawariya seth mandir rajasthan से संबंधित सम्पूर्ण जानकारी प्रदान करने का प्रयास किया है। यदि आपको किसी अन्य जगह के बारे में जानना चाहते हो तो कृपया हमें कॉमेंट करे। और अपने दोस्तो के साथ यह लेख साझा करे।