वाराणसी में स्थित काफी सालों से विवादित ज्ञानवापी मस्जिद में ASI का सर्वे चल रहा था। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण gyanvapi mosque asi survey रिपोर्ट की कॉपी हिंदू पक्ष और मुस्लिम पक्ष को सौंपी। gyanvapi mosque asi survey में gyanvapi masjid के तहखानों में से सनातन धर्म के साक्ष प्राप्त हुवे है।
gyanvapi mosque asi survey की रिपोर्ट हिंदू पक्ष मेंवकील विष्णु शंकर जैन और मुस्लिम पक्ष के वकील अखलाख अहमद को सौंपी है। ज्ञानवापी में ASI की सर्वे करीबन 92 दिनों तक चला और ASI ने 839 पन्ने की सर्वे रिपोर्ट की कॉपी तैयार की।
gyanvapi mosque asi survey रिपोर्ट में मस्जिद की दीवारों पर स्वस्तिक के निशान, नाग देवता के निशान, कमल पुष्प के निशान, घंटी के निशान, ओम लिखा हुआ निशान, टूटी हुई विखंडित हिंदू देवी देवताओं की मूर्तियां और मंदिर के खंडित अवस्थामे खंभों के अवशेष और शिवलिंग मिला, ऐसे कई सबूत एएसआई को मिले है।
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ज्ञानवापी मस्जिद के गुंबद की सर्वे – gyanvapi mosque asi survey
ज्ञानवापी मस्जिद के तीनों गुंबद की एएसआई टीम ने बारीकी से जांच किया। गुंबद की सर्वे में बिना कोई नुकसान पहुंचाए बिना फोटोग्राफी-वीडियोग्राफी, थ्री डी इमेज और रासायनिक प्रकिया के माध्यम से सबूत एकत्रित किए। एएसआई टीम ने वजूखाने के अलावा हर कोने में बहुत ही बारीकी से हाईटेक इंस्ट्रूमेंट की मदद से परिसर से प्राप्त हुई कलाकृतियों और मूर्ति के कालखंड पता लगाया।
ज्ञानवापी मस्जिद के तहखाने में मिले सनातन धर्म के सबूत
ज्ञानवापी मस्जिद में सनातन धर्म के कई सबूत मिले। जिसमे तहखाने केखंभों पर हिंदू धर्म की कलाकृतियां, कई लिपियों में शिलालेख प्राप्त हुवे है। gyanvapi mosque asi survey में कहा है की वहा 34 शिलालेख मिले है। यह शिलालेख हिंदू मंदिर से जुड़े है और वह मंदिर के समय से है। प्राप्त हुवे शिलालेख में देवनागरी, ग्रंथ, तेलुगु और कन्नड़ लिपि में लिखे है। इन लेखों में भगवान जनार्दन, रुद्र और उमेश्वर के नाम मिले है।
हिंदू पक्ष को ज्ञानवापी तहखाने में पूजा की इजाजत
1993 के तत्कालीन राज्य सरकार के आदेश अनुसार तहखाने में पूजा करने पर प्रतिबंध लगाया था। लेकिन वर्तमान समय में जिला जज का आदेश से व्यास जी को तहखाने में पूजा करने की अनुमति दी है।
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ज्ञानवापी मस्जिद से प्राप्त 10 सनातन के सबूत
काशी के gyanvapi mosque पहले मंदिर था यह मिले हुवे कई सबूत के आधार पर कह सकते है। मंदिर होने के 10 अहम सबूत बताते है की यह विशाल और भव्य मंदिर था। एएसआई सर्वे टीम में 2 मुस्लिम पुरातत्वविद इजहार आलम हाशमी और डॉ. आफताब हुसैन शामिल थे।
भारतीय पुरातत्व सर्वे में यह साफ है की परिसर भाग में मंदिर होने के कई सबूत छिपाने और मिटाने की कोशिश की थी लेकिन यह नहीं मिटा पाए।
1. रिपोर्ट में जीपीआर से हुई जांच के आधार पर एएसआई ने बताया कि तहखाने में 2 मीटर चौड़ा कुआं भी छिपा है।
2. पहले भव्य मंदिर का बड़ा केंद्रीय कक्ष था और इसका प्रवेश द्वार पश्चिम में था। यह द्वार पत्थर की चिनाई से बंद किया है। इस प्रवेश द्वार को जानवरों और पक्षियों की तोरण कलाकृति से सजाया है।
3. परिसर के मुख्य प्रवेश द्वार की बिम्ब पर निर्मित नक्काशी को तोड़कर कुछ भाग पत्थर, ईंट और गारे से ढका है।
4. मस्जिद के तहखाने के उत्तर, दक्षिण और पश्चिम के तीन कक्षों के अवशेष भी शामिल है। इसका विस्तार अधिक है लेकिन पूर्व का भाग पत्थर के फर्श से ढका है।
5. ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में मूर्ति के अवशेष मिले जिसमे जानवर, पक्षी और कई हिंदू शैली की नक्काशी। यह प्रतिमाएं 17वीं सदी की मस्जिद के लिए ये ठीक नहीं था इस लिए हिंदू नक्काशी हटाई थी लेकिन आज भी मंदिर के अवशेष मौजूद है।
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6. मस्जिद के विस्तार और निर्माण के लिए पहले से मौजूद मंदिर का इस्तेमाल किया है और जरूरत के हिसाब से मंदिर को तोड़कर मस्जिद का निर्माण किया है। मस्जिद निर्माण में खंभे, भित्तिस्तंभ पश्चिमी दीवार पत्थरों से हिंदू शैली में निर्मित है।
7. मस्जिद के उत्तर और दक्षिण हॉल मेहराबदार प्रवेश द्वारों को द्वस्त करके हॉल में परिवर्तित किया है। इसकी दीवारों पर संस्कृत भाषा का शिलालेख मौजूद है
8. मस्जिद के उत्तर दिशा के प्रवेश द्वार पर जाने के लिए पत्थर से बनी सीढ़ियां आज भी इस्तेमाल में है लेकिन दक्षिण प्रवेश द्वार पर बनी सीढ़ियों को बंद किया है।
9. रिपोर्ट के अनुसार किसी भी इमारत की कला और वास्तुकला उनके संकेत, स्वभाव और समय का भी संकेत देती है। मस्जिद का केंद्रीय कक्ष का कर्ण-रथ और प्रति-रथ पश्चिम दिशा के दोनों ओर दिखता है।
10. ज्ञानवापी मस्जिद से पहले मंदिर होने का सबसे महत्वपूर्ण सबूत स्वस्तिक और शिव का प्रतीक त्रिशूल है।