दिल्ली में घूमने के 10 प्रसिद्ध स्थान। Top 10 Delhi Me Ghumne Ki Jagah

भारत की राजधानी होने के साथ यह पर्यटन शहरों की यदि में से एक है। इसलिए आज Delhi Me Ghumne Ki Jagah के बारे बताएंगे। दिल्ही यमुना नदी के तट पर करीबन 1000 साल पुराना बसा हुवा शहर है। यह शहर प्राचीन समय में भी सम्राट, राजा -महाराजाओं की राजधानी रहा है। इसलिए delhi ghumne ki jagah काफी सारी है। भारत की राजधानी प्राचीन समय का इतिहास और आधुनिकता का केंद्र है।

दिल्ली में घूमने की जगह – delhi me ghumne ki jagah

delhi m ghumne ki jagah का ढेर पड़ा है। जहां भारतीय ही नहीं बल्कि विदेशी पर्यटक यहा घूमने आते है। दिल्ली में आपको हर तरह के स्मारक देखने को मिलेंगे, जैसे की मंदिरों से लेकर चर्च, गुरुद्वारे, मस्ज़िद , किले, गार्डन, म्यूजियम आदि शामिल है। delhi tomai ghumne ki jagah के अलावा दिल्ली में सभी संस्कृति का मिश्रण देखने को मिलेगा और हर राज्य का पारंपरिक खाना आपको सरलता से मिल जायेगा। 

1. लाल किला 

लाल क़िले का निर्माण की शुरुआत मुग़ल सम्राट शाहजहां ने 17वीं सदी करवाया था जिसका निर्माण कार्य 12 मई 1639 को पूर्ण हुआ। लाल क़िला का आकार बड़ा और विशाल हैं। इसमें बहुत सारे भवन, मस्जिदें, बाग़, महल और दरबार है। इसकी मुख्य दीवारें लाल रंग की हैं। इसलिए लाल क़िला के नाम से प्रसिद्ध है। इसमें छह प्रमुख दरवाज़े हैं। यह एक प्रमुख पर्यटन स्थल है। देश और विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करता है।

लाल क़िला भारतीय इतिहास में मुग़ल शासन की महानता का प्रतीक है। भारतीय संस्कृति, कला और वास्तुकला के उत्कृष्ट उदाहरणों में से एक है। जो आकर्षक और सुंदरता से भरे हुए हैं। जिनमें से दिल्ली गेट सबसे अधिक प्रसिद्ध है।

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2. क़ुतुब मीनार 

दिल्ली के दक्षिण महरौली भाग में स्थित कुतुब मीनार ईंट से बना दुनिया की सबसे ऊंची इमारत है। दिल्ली की यह इमारत पर्यटकों के प्रमुख स्थान है। इसकी ऊँचाई 73 मीटर है। कुतुब मीनार ऊपर जाकर शिखर पर 2.75 मीटर हो जाता है। इसमें 379 सीढियाँ हैं।मीनार के चारों ओर बने अहाते में भारतीय कला के कई उत्कृष्ट नमूने हैं। ये मीनार पास के 27 मंदिरों को तोड़कर और दिल्ली विजय के उपलक्ष्य मे मंदिरों के मलबे से बनाई गयी थी। मीनार वराहमिहिर का खगोल शास्त्र वेधशाला थी। कुतुब मीनार परिसर में एक लौह स्तंभ भी है।

कुतुब-उद-दीन ऐबक और शमसुद-दीन इल्तुतमिश ने 1199 और 1503 के बीच कुव्वतुल-इस्लाम के दक्षिण-पूर्वी कोने पर मीनार का निर्माण किया। 1505 में भूकंप ने कुतुब मीनार को क्षतिग्रस्त कर दिया। इसकी मरम्मत सिकन्दर लोदी ने करायी थी। उन दिनों इसे कुतुब मीनार के पूर्व में जमीनी स्तर पर पुनः स्थापित किया गया। इसे 1993 में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल की सूची में जोड़ा गया था।

3. हुमायूँ का मकबरा 

नई दिल्ली के पुराने किले के नजदीक पूर्व क्षेत्र में मथुरा मार्ग के नजदीक हुमायूँ का मकबरा है। हुमायूँ का मकबरा भारत के दिल्ली में स्थित है और यह मुग़ल सम्राट हुमायूँ की धार्मिक और सांस्कृतिक महत्वपूर्ण यादगार है। हुमायूँ का मकबरा दिल्ली के निजामुद्दीन पूरे क्षेत्र में स्थित है और यह उस समय की आदिबादी और गुलचीन बाग में स्थित है।

हुमायूँ का मकबरा उसके पुत्र अकबर ने बनवाया था और यह भारतीय स्थापत्यकला का उदाहरण है। यह एक मर्मर संरचना है। मकबरे की शृंगारिक और गुजारिशी शैली के आलंब में मकबरे का निर्माण किया गया है। हुमायूँ का मकबरा दिल्ली के पर्यटन स्थलों में से एक है और यह इतिहास और संस्कृति प्रेमियों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल है।

4. अक्षरधाम मंदिर 

स्वामीनारायण मंदिर जिसे अक्षरधाम या अक्षरधाम मंदिर के नाम से जाना जाता है। भारत में सबसे लोकप्रिय हिंदू मंदिरों में से एक है। 141 फीट ऊंचा 316 फीट चौड़ा और 356 फीट लंबा खूबसूरती से बना अक्षरधाम मंदिर गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दुनिया के सबसे बड़े हिंदू मंदिर परिसर के रूप में दर्ज है। अक्षरधाम दिल्ली में सबसे अच्छे आवासीय क्षेत्रों में से एक है। दिल्ली का अक्षरधाम मंदिर पर्यटकों के घूमने का सुंदर पर्यटन स्थल है।

अक्षरधाम मंदिर में नौ गुंबदों और 234 अलंकृत नक्काशीदार स्तंभ है। जिसमे आचार्यों, स्वामियों और भक्तों की करीबन 20,000 से ज्यादा प्रतिमाएं है। यह एक अनोखी हिंदू वास्तुकला को दर्शाता है। मंदिर में नर्तकियों, वनस्पतियों, देवताओं, संगीतकारों और जीवों के साथ नक्काशीदार आकर्षक वास्तुकला है। अक्षरधाम मंदिर दिल्ली में 06 नवंबर 2005 को खोला गया था। मंदिर एचएच योगीजी महाराज की स्मृति में प्रेरित और बनाया गया है।

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5. कमल मंदिर 

लोटस टेंपल भारत की राजधानी दिल्ली के नेहरू प्लेस कालकाजी मंदिर के पास स्थित एक बहाई उपासना स्थल है। कमल मंदिर में कोई मूर्ति स्थापित नहीं है और यहां कोई धार्मिक कर्म-कांड भी नहीं करते। भारतीय लोगो के लिए कमल का पुष्प पवित्रता और शांति का प्रतीक और ईश्वर के अवतार का संकेत चिह्न मानते है। यह फूल कीचड़ में खिलने के बावजूद पवित्र तथा स्वच्छ रहना सिखाता है।

कमल मंदिर में प्रतिदिन देश और विदेश के लगभग आठ से दस हजार पर्यटक आते हैं। मंदिर का उद्घाटन 24 दिसंबर 1986 को हुआ लेकिन आम जनता के लिए यह मंदिर 1 जनवरी 1987 को खोला गया। मंदिर में उपासना और पुस्तकालय में बैठ कर धर्म की किताबें पढ़ते है और उस पर रिसर्च करते है।

6. जंतर मंतर 

दिल्ली का जन्तर मन्तर एक खगोलीय वेधशाला है। अन्य चार जन्तर मन्तर सहित इसका निर्माण महाराजा जयसिंह द्वितीय ने 1724 में करवाया था। यह इमारत प्राचीन भारत की वैज्ञानिक उन्नति की मिसाल है। राजा जय सिंह ने जयपुर, उज्जैन, मथुरा और वाराणसी मे वेधशालाओं का निर्माण करवाया था। समरकंद की वेधशाला से प्रेरित होकर दिल्ली में जंतर-मंतर का निर्माण करवाया। मोहम्मद शाह के शासन काल में हिन्दु और मुस्लिम खगोलशास्त्रियों में ग्रहों की स्थिति को लेकर बहस छिड़ गई थी। इसे खत्म करने के लिए सवाई जय सिंह ने जंतर-मंतर का निर्माण करवाया।

जंतर मंतर राजधानी दिल्ली के दिल कनॉट प्लेस के बीचों-बीच स्थित है। जंतर मंतर का निर्माण महाराजा जयसिंह द्वितीय ने 1724 में करवाया था। जंतर-मंतर प्राचीन भारत की वैज्ञानिक उन्नति की मिसाल है। उन्होंने दिल्ली के साथ जयपुर, उज्जैन, मथुरा और वाराणसी में भी ऐसा निर्माण कराया था।

7. नेहरू प्लेनेटेरियम 

देश का अव्वल दर्जे का एक लोकप्रिय प्लेनेटेरियम है। यहां पर बच्चों को ब्रह्मांड के अलावा यहां पर बच्चों को अलग-अलग गतिविधियों के जरिए यूनिवर्स के बारे में जानने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। प्लेनेटेरियम में एक टेलिस्कोप भी है। जिसके जरिए चांद तारे जैसे खगोलीय पिंडों को देखने का लुफ्त उठा सकते हैं। बच्चे यहां अंतरिक्षयान के मॉडल को भी देख सकते हैं।

नहेरू प्लेनेटेरियम में टूरिस्ट को 3D आईमैक्स थिएटर में 360 डिग्री व्यू के साथ पूरे ब्रह्मांड का दर्शन कराया जाता है। यह प्लेनेटेरियम बिना खंभों वाली बेजोर गोलाकार संरचना में होने के कारण थ्री-डाइमेंशनल फॉर्मेट में दिखाई गई फिल्म बहुत ही स्पष्ट होती है। पर्यटक आसमान का सुंदर दृश्य देख सकते है। नेहरू प्लेनेटेरियम में डिस्कवरी ऑफ इंडिया का एक हिस्सा है। इसमें भारत का इतिहास और आर्किटेक्चर में हुए बदलाव को दिखाते है। प्लेनेटेरियम में एक खास सोलर सिस्टम मौजूद है यहां पर्यटक ब्रहमांड विभिन्न ग्रह पर अपना वजन का अनुमान लगा सकते है।

8. वीरमाता जीजाबाई भोसले चिड़ियाघर 

आप विभिन्न तरह के पशु-पक्षी और जानवरों के बारे में जानने की रुचि रखते हैं। इस चिड़िया घर का निर्माण 1861 में किया गया था। वर्तमान में यहाँ हर तरह के पशु और प्राणी है। जैसे की दरियाई घोड़ा, हाथी, बंगाल का बाघ, नीलगाय, तेंदुआ, मगरमच्छ, अजगर आदि देख सकते है।

चिड़ियाघर के परिसर में 50 एकड़ में सुंदर बोटैनिकल गार्डन बनाया है। जिसमे 3000 से भी ज्यादा भिन्न-भिन्न प्रजाति के पेड़ पौधे देख सकते है और जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। इसके साथ ही यहां पर एक म्यूजियम भी है। जिसे ‘डॉक्टर भाऊ दाजी लाड़ म्यूजियम’ कहा जाता है। इसके अंदर बहुत सारी प्राचीन मूर्तियां, ऐतिहासिक तस्वीरें, कलाकृतियां है।

9. चांदनी चौक 

चाँदनी चौक दिल्ली का सबसे पुराना एवं सबसे व्यस्त क्षेत्र है। चांदनी चौक पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन के नजदीक स्थित है। यह १७ वीं शताब्दी में भारत के मुगल सम्राट शाहजहां द्वारा बनाया गया था। चांदनी चौक पुरानी दिल्ली के मध्य में लाल किले के लाहौरी गेट से शुरू होकर फतेहपुरी मस्जिद तक विस्तृत है।

आरंभिक कल में इसे तीन खंडों में बांटा गया था। चांदनी चौक को 1650 ईस्वी में शाहजहां की पुत्री जहांआरा बेगम ने डिजाइन किया था। 1560 दुकानों वाला यह बाजार मूल रूप से 40 गज चौड़ा और 1520 गज लम्बा था। बाजार आकृति में चौकोर था जो चांदनी रात में चमकता था। इसी कारण बाजार का नाम चांदनी चौक पड़ा था।

यह बाजार अपने चांदी के व्यापारियों के लिए प्रसिद्ध था। इसलिए सिल्वर स्ट्रीट नाम से भी प्रसिद्ध है। चांदनी चौक एक समय में भारत का सबसे बड़ा बाजार था। चौक के तालाब को 1950 के दशक तक एक घंटाघर से प्रतिस्थापित किया था। इसलिए बाजरा का केंद्र घंटाघर से पहचाना जाता है।

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10. पांच इंद्रियों का बगीचा 

20 एकड़ में फैला यह पार्क महरौली विरासत क्षेत्र के पास साकेत के सामने सैदुल अजैब गांव में स्थित है। दिल्ली के वास्तुकार प्रदीप सचदेवा द्वारा डिजाइन किया गया। पार्क को दिल्ली पर्यटन और परिवहन विकास निगम दिल्ली द्वारा 10.5 करोड़ रुपये की लागत से विकसित किया गया था। तीन साल की अवधि में और फरवरी 2003 में खोला गया। बगीचे में विभिन्न विषय क्षेत्र हैं। जिसमें मुगल गार्डन की तर्ज पर एक खंड भी शामिल है। इस पार्क का उद्घाटन फरवरी 2003 में किया था। मनुष्य की पांच इंद्रियों को उत्तेजित करने और प्राकृतिक परिवेश को छूने, सूंघने, सुनने और देखने के लिए इस सुंदर और आकर्षक गार्डन का निर्माण किया है।

यह उद्यान राजधानी के प्रमुख सांस्कृतिक स्थलों में से एक के रूप में कार्य करता है। दिल्ली सरकार हर साल गार्डन ऑफ फाइव सेंसेज में गार्डन टूरिज्म फेस्टिवल का भी आयोजन करती है। नई दिल्ली में गार्डन ऑफ द फाइव सेंसेज में लबना आर्क का उद्घाटन 16 सितंबर 2013 को नई दिल्ली की मेयर मैडम शीला दीक्षित और मैक्सिकन राजदूत जैमे नुआलार्ट द्वारा किया गया था। आर्क सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए एक स्थल के रूप में काम करेगा।

निष्कर्ष :

इस लेख में दिल्ली के प्रसिद्ध एतिहासिक और प्राकृतिक सुंदर पर्यटन स्थानों के बारे में बताया। जोकि एक यात्री के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। हमे उम्मीद है की यह लेख delhi me ghumne ki jagah आपको पसंद आया होगा। हमने इस लेख के जरिए दिल्ली की कुछ जानकारी प्रदान की पसंद आई हो तो अपने दोस्तो के साथ शेयर जरूर करे।

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