दिल्ली का प्रसिद्ध झंडेवाला मंदिर का इतिहास और यात्रा की जानकारी

दिल्ली में कई प्रसिद्ध मंदिर है जिसमे से आज हम jhandewalan mandir के बारे में जानेंगे। इसकी विशेषताएं और आरती के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे।

झंडेवालान मंदिर का इतिहास – Jhandewalan Mandir

झंडेवाला मंदिर दिल्ली के करोलबाग के पास एक प्राचीन मंदिर है। जिसे jhandewalan mandir कहा जाता है। यह सिर्फ दिल्ली ही नहीं बल्कि देश-विदेश के पर्यटकों और श्रद्धालुओं के बीच प्रसिद्ध है। इस मंदिर का महत्व सिर्फ धार्मिक ही नहीं बल्कि ऐतिहासिक भी है। 18वीं सदी तक इस स्थान को अरावली पर्वत श्रृंखला तक फैले घने जंगलों से भरा हुआ था।

दिल्ली के आसपास से लोग यहां विश्राम के लिए आते थे और प्राकृतिक सौन्दर्य का आनंद लेते थे। स्थानीय किस्सों के अनुसार दिल्ली के चांदनी चौक क्षेत्र में एक धार्मिक व्यक्ति नामक बद्री दास को एक सपना आया कि इस स्थान पर एक प्राचीन मंदिर झरने के नीचे है।

खुदाई के दौरान वहां एक प्राचीन मंदिर और देवी शक्ति की मूर्ति मिली। खुदाई के दौरान इस मूर्ति का एक हाथ टूटा हुआ पाया गया। सज्जन बद्री दास ने मूर्ति को एक गुफा में रखा। उस पर एक चांदी का हाथ लगाया और ऊपर बने एक मंदिर के अंदर स्थापित किया और दोनों स्थानों पर पूजा और अनुष्ठान किया। एक ऊंचे मंदिर पर एक झंडा लहेराया गया था।

इसलिए इसे jhandewalan mata mandir कहा गया। मंदिर कैम्पस में एक शिव लिंग भी स्थापित किया गया था। पुरानी देवी की मूर्ति को गुफ़ा वाली माँ के नाम से पहचाना जाता है। आज यह प्राचीन गुफा माता देवी और शिव लिंग के भक्तों की भक्ति का केंद्र है। इस गुफा में जागृत हुई दिव्य ज्योति आज भी इस मंदिर में दुर्गा पूजा और नवरात्रि के भव्य उत्सवों का साक्षी है। त्योहारों के दौरान कई भक्त इस स्थान पर आते हैं।

धीरे-धीरे इस मंदिर ने लोगों के बीच महत्वपूर्ण पूजा स्थली के रूप में लोकप्रियता प्राप्त की और दूर-दूर से भक्त देवी माता की पूजा करने के लिए यहां आने लगे। इसके बाद बद्री दास जी ने अपना पूरा जीवन देवी माँ की सेवा में समर्पित कर दिया।

झंडेवाला मंदिर की रूपरेखा

श्री बद्री भगत के शरीर के शांत होने के बाद भी मंदिर का विकास कार्य निरंतर अखण्ड रूप से चलता रहा है। पहले उनके परिवार के श्री रामदास, श्री श्यामदास और श्री प्रेम कपूर के सहयोग से मंदिर का विकास हुआ। अब ये तीनों नहीं हैं और इन दिनों श्री प्रेम कपूर के पुत्र श्री नवीन कपूर और प्रबंध समिति के सदस्यों के सक्रिय सहयोग से विकास कार्य जारी है। देवी मंदिर का एक श्रेष्ठ रूप आज सभी के सामने है। विभिन्न विकास लक्ष्यों को पूरा करने के लिए मंदिर प्रबंध समिति निरंतर प्रयासरत है।

jhandewalan devi mandir एक अष्टकोणीय मंदिर है। इसका शिखर कमल फलकों के आकार का है। सबसे नीचे गुफा में माता की प्राचीन मूर्ति है और ठीक इसके पीछे एक शिवलिंग है। मूर्ति के साथ ही खुदायी में पाया गया था। माता की मूर्ति खुदायी के समय खण्डित हो गई थी। इसलिए उसे उसी अवस्था में छोड़ दिया गया ताकि उसकी और कोई क्षति न हो। मूर्ति के नीचे का कुछ हिस्सा आज भी वैसी ही अवस्था में है। इसी तरह शिवलिंग को भी क्षति न हो इसलिए ऊपर का हिस्सा छोड़कर नीचे का हिस्सा सुरक्षित रखा गया है।

मुख्य भवन में मां झंडेवाली की मूर्ति स्थापित है जो अत्यंत सुंदर है। उसकी महिमा को शब्दों से नहीं, बल्कि देखकर ही अनुभव किया जा सकता है। भवन के दक्षिण दिशा में शीतला माता, संतोषी माता, वैष्णो माता, गणेश जी, लक्ष्मी जी और हनुमान जी जैसी देवी-देवताओं की मूर्तियां स्थापित हैं।

मंदिर में प्रत्येक मंगलवार और शनिवार को माता की चौकी आयोजित होती है। मंदिर प्रांगण के उत्तर-पूर्व दिशा में एक आकर्षक उद्यान है जिसमें मंदिर के संस्थापक बद्री भगत की कांस्य प्रतिमा स्थापित है और उत्तर की ओर विशाल द्वार है, जो मण्डपों से बना है। यहां एक कुंआ भी था जिसका पानी इतना मीठा और पवित्र था कि 1940 के बाद भी लोग इस स्थान से पानी भरकर ले जाते थे।

झंडेवाला मंदिर के मुख्य उत्सव और सांस्कृतिक कार्यक्रम

नवरात्रि मेले के समय दिन-प्रतिदिन लाखों भक्त मां के दर्शन के लिए आते हैं। मंदिर प्रशासन ध्यानपूर्वक इन श्रद्धालुओं के दर्शन की पूरी व्यवस्था करता है। ताकि उन्हें किसी भी प्रकार की असुविधा न हो। नवरात्रि के दौरान यहां एक नौ-दिनी मेला आयोजित होता है और सन्1944 में श्री बद्री भगत jhandewalan mandir सोसायटी भी एक विशाल भण्डारा का आयोजन करती है।

jhandewalan mandir अब एक सामाजिक जागरूकता का केंद्र बन चुका है। आज भी मंदिर की सभी व्यवस्थाएँ और कार्य इस सोसायटी द्वारा प्रबंधित किए जाते हैं। मां का आशीर्वाद है कि उनके भक्तों द्वारा दिया गया धन सामाजिक उन्नति के लिए खर्च किया जाता है। नवरात्रि में लगभग 10 लाख भक्त माता के दर्शन के लिए दूर-दूर से आते हैं।

मंदिर की स्थापना के साथ ही संस्कृत की प्रसार के लिए एक संस्कृत पाठशाला की नींव भी रखी गई है जो वर्तमान में मंडोली (दिल्ली) में बद्री भगत वेद विद्यालय के रूप में है। वेद विद्यालय में संस्कृत के प्रचार-प्रसार के लिए एक संवादशाला संचालित होती है। जहाँ देशभर से आने वाले संस्कृत-साधकों को संस्कृत बोलने का प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है।

शिक्षार्थियों के आवास और भोजन की सुविधा मंदिर द्वारा प्रदान की जाती है। बद्री भगत jhandewalan mandir द्वारा आयुर्वेद, एलोपैथिक, होम्योपैथिक और पाश्चात्य प्रणाली के नि:शुल्क औषधालय स्थापित किए गए हैं।

यह मंदिर प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित लोगों को यथासंभव मदद करने का कार्य करता है। गरीबी उन्मूलन को ध्यान में रखकर मंडोली वेद विद्यालय परिसर में एक नि:शुलक सिलाई केन्द्र भी संचालित होता है। जिसमें समाज की गरीब लड़कियों और महिलाओं को प्रशिक्षण दिया जाता है। जिससे वे आत्मनिर्भर बन सकें।

इसके अलावा बद्री भगत jhandewalan mandir हर संभव प्रयास कर रहा है अन्य शिक्षण कार्यों और भारतीय संस्कृति के उत्थान के लिए। आपसी परिवारी विवादों को सुलझाने के लिए एक परिवार केंद्र की स्थापना की गई है। जिसे एक अनुभवी महिला कार्यकर्ता द्वारा नि:शुल्क सेवा के रूप में संचालित किया जा रहा है। मंदिर में एक भोजन क्षेत्र भी है। जहां प्रात:काल और दोपहर को भंडारा सञ्चालित होता है। गर्मियों में भक्तों के लिए ठंडे पानी की व्यवस्था भी की जाती है।

मकर संक्रांति उत्सव यहाँ सामाजिक समरसता के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। जिसमें समाज के सभी जाति और बिरादरी के लोग एकजुट होते हैं और खिचड़ी को प्रसाद के रूप में स्वीकार करते हैं। मंदिर में समय-समय पर धार्मिक कार्यक्रम जैसे कि श्रीमद्भागवत कथा, श्री हनुमान जयंती, शिवरात्रि पर शिव तांडव नृत्य नाटिका अन्नकूट का विशाल भंडारा और सामाजिक कार्यक्रम होते हैं। हर वर्ष रक्तदान शिविर और स्वास्थ्य परीक्षण शिविर भी आयोजित किए जाते हैं। मां झंडेवाली की कृपा से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

इसके कारण मंदिर की महिमा और प्रसिद्धि सर्वत्र फैल रही है। इस कारण हिन्दू धर्म के साथ ही अन्य संप्रदायों के लोग भी मां के दर्शन करने के लिए मंदिर आते हैं जिनमें विदेशी भक्त भी शामिल होते हैं।

झंडेवाला मंदिर के खुलने का समय – jhandewalan mandir timings

सर्दी में :- सुबह 5:30 बजे से रात के 9:30 बजे तक।

गर्मी में :- सुबह 5:00 बजे से रात के 10:00 बजे तक।

झंडेवाला मंदिर के आरती का समय – jhandewalan mandir arti timings

• मंगल आरती :- सुबह 5:30 बजे से 6:00 बजे तक।

• श्रुंगार आरती :- सुबह 9:00 बजे से 9:15 बजे तक।

• भोग आरती :- दोपहर 12:00 बजे से 12:15 बजे तक।

• संध्या आरती :- रात्रि 7:30 बजे से 8:00 बजे तक।

• शयन आरती :- रात्रि 09:30 बजे से 10:00 बजे तक।

• नवरात्रि में आरती केवल सुबह 4:00 बजे और शाम 7:00 बजे को होती है। प्रत्येक मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी और प्रमुख त्योहारों पर मंदिर पूरे दिन खुला रहता है। अन्य दिनों में मंदिर दोपहर 1:00 बजे से शाम 4:00 बजे तक बंद रहता है।

निष्कर्ष

आज आपको दिल्ली का प्रसिद्ध jhandewalan mandir की यात्रा के बारे में बताया। अगर आपको यह लेख पसंद आया हो तो कॉमेंट करे और अपने दोस्तो के साथ शेयर जरूर करे।

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