महाबोधि मंदिर का इतिहास और विशेषता – Mahabodhi Mandir Bodhgaya Bihar

महाबोधि मंदिर बिहार के बोधगया में स्थित एक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है और जिसको महान जागृति मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। ये वहीं स्थान है जहाँ भगवान बुद्ध ने ज्ञान प्राप्त किया था। यह मंदिर 4.8 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला हुआ है और इसकी ऊँचाई 55 मीटर है। मंदिर के पास स्थित पवित्र बोधि वृक्ष भगवान बुद्ध के ध्यान और आत्मज्ञान का प्रतीक है। यह स्थल बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए विशेष महत्व रखता है और Mahabodhi Mandir Bodhgaya Bihar में हर वर्ष लाखों श्रद्धालु आते रहेते हैं।

यदि आप महाबोधि मंदिर बोधगया बिहार की यात्रा की योजना बना रहे हैं या इसके बारे में अधिक जानने के लिए उत्सुक हैं,  इस लेख में महाबोधि मंदिर और इसके ऐतिहासिक महत्व पर विस्तार से चर्चा करेंगे। 

महाबोधि मंदिर का इतिहास – Mahabodhi Mandir Bodhgaya Bihar History In Hindi

महाबोधि मंदिर का इतिहास प्राचीन और समृद्ध है, जो इसे एक ऐतिहासिक धरोहर बनाता है। यह लगभग 2000 वर्षों से हिंदुओं और बौद्धों के लिए एक प्रमुख तीर्थ स्थल रहा है। इस मंदिर का निर्माण कब हुआ, यह स्पष्ट नहीं है, लेकिन इसे सबसे प्राचीन बौद्ध मंदिरों में गिना जाता है। मंदिर में 232 ईसा पूर्व के अशोक काल के शिलालेख पाए जाते हैं, जो इसके ऐतिहासिक महत्व को ओर बढ़ाती हैं। इसकी मूल संरचना ईंटों से बनी थी, जो समय के साथ कमजोर हो गई। इसके कई हिस्सों का पुनर्निर्माण 7वीं शताब्दी और 19वीं शताब्दी में किया गया। महाबोधि मंदिर आज भी बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए एक प्रमुख आध्यात्मिक और ऐतिहासिक स्थल है।

महाबोधि मंदिर का महत्व – Mahabodhi Mandir Bodhgaya Bihar

महाबोधि मंदिर बौद्ध धर्म का प्रमुख धार्मिक स्थल है, जो भगवान बुद्ध के जीवन से जुड़े चार पवित्र स्थलों में शामिल है और इसे आत्मज्ञान प्राप्ति का प्रतीक माना जाता है। कथाओं और तथ्यों के अनुसार, ये वहीं पवित्र स्थान है जहाँ भगवान गौतम बुद्ध ने आत्मज्ञान प्राप्त किया और सभी मोह-माया त्यागकर अपना जीवन जनकल्याण के लिए समर्पित किया। इस कारण महाबोधि मंदिर न केवल बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए, बल्कि सभी धर्मों के लोगों और पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र है। हर वर्ष लाखों पर्यटक इस पवित्र स्थल की यात्रा करते हैं।

बोधि वृक्ष – bodhi Tree

बोधि वृक्ष का इतिहास गौतम बुद्ध के जीवन से गहराई से जुड़ा हुआ है। बोधि वृक्ष का दूसरा नाम पीपल का पेड़ कहा जाता है और यह बोधगया में स्थित है। युवा राजकुमार सिद्धार्थ गौतम, जिन्होंने दुनिया के कष्टों को सहन न कर पाने पर समाधान की खोज शुरू की और गया के फल्गु नदी के किनारे पहुंचे। यहाँ उन्होंने एक पीपल के वृक्ष के नीचे बैठकर तीन दिन और तीन रात तक गहेरा ध्यान किया। कुछ एक-दिन बाद उसी वृक्ष के नीचे उन्हें आत्मज्ञान प्राप्त हुआ और यह वृक्ष बोधि वृक्ष के नाम से प्रसिद्ध हो गया। सम्राट अशोक ने महाबोधि मंदिर को बनवाया था और इस ऐतिहासिक वृक्ष एवं गौतम बुद्ध की स्मृति को समर्पित है।

महाबोधि मंदिर की वास्तुकला – Mahabodhi Mandir Ki Vastukala

प्राचीन भारत की सबसे ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण ईंट संरचनाओं में से एक महाबोधि मंदिर बोधगया में स्थित हैं। इस मंदिर का निर्माण पूरी तरह से ईंटों से किया गया था, जो पूर्वी भारतीय वास्तुकला की अनूठी पहचान को दर्शाता है। इसे भारतीय ईंटवर्क का उत्कृष्ट उदाहरण माना जाता है और वास्तुकला की परंपराओं पर गहरा प्रभाव डालता है। यह मंदिर गुप्त काल की पूरी तरह ईंट से निर्मित प्रारंभिक और भव्य संरचनाओं में से एक है। इसका केंद्रीय टॉवर चार छोटे टॉवरों से घिरा हुआ है, जो एक समान शैली में निर्मित हैं।

मंदिर के चारों ओर पत्थर की दो प्रकार की रेलिंगें हैं। बलुआ पत्थर से बनी रेलिंग लगभग 150 ईसा पूर्व की मानी जाती हैं, जबकि ग्रेनाइट से बनी मोटी रेलिंग गुप्त काल की मानी जाती हैं। पुरानी रेलिंगों में हिंदू-बौद्ध परंपरा के दृश्य हैं, जैसे लक्ष्मी को हाथी द्वारा स्नान कराते हुए दिखाया गया है। वहीं, नई रेलिंगों में स्तूपों के अवशेष और गरुड़ की नक्काशी है।

प्राचीन मंदिर के गर्भगृह में बुद्ध की सोने से चित्रित एक मूर्ति रखी गई है, जो काले पत्थर से बनी है। यह मूर्ति बंगाल के पाल राजाओं द्वारा बनवाई गई थी। इसमें बुद्ध को भूमि स्पर्श मुद्रा में बैठा हुआ दिखाया गया है, जिसे पृथ्वी स्पर्श मुद्रा भी कहा जाता है।

महाबोधि मंदिर के आसपास घूमने की जगहें – Mahabodhi mandir ke near ghoomne ki jagah

महाबोधि मंदिर के अलावा बोधगया में कई अन्य पर्यटन स्थल भी स्थित हैं? इन स्थलों को आप अपनी महाबोधि मंदिर यात्रा के दौरान जरूर शामिल कर सकते हैं।

  • डूंगेश्वरी हिल्स
  • वियतनामी मंदिर
  • तिब्बती बाजार
  • बुद्ध की ऊंची प्रतिमा
  • चीनी मंदिर
  • थाई मठ
  • आर्कियोलॉजिक म्यूजियम
  • जापानी मंदिर
  • रॉयल भूटानी मठ
  • विष्णुपद मंदिर
  • मुचलिंडा झील

महाबोधि मंदिर घूमने जाने का सबसे अच्छा समय – Mahabodhi mandir ghoomne ka best time

बौद्ध पूर्णिमा गर्मी के महीनों में आती है और इस अवसर पर दुनिया भर से लोग बोधगया पहुंचते हैं। मई में बोधगया जाने की योजना बना रहे हों, तो हल्के और सूती कपड़ों का चयन करें, क्योंकि इस समय यहां तापमान काफी अधिक होता है। अप्रैल से जून के दौरान गर्मी के कारण पैदल घूमना मुश्किल हो सकता है, जिससे कम लोग इस अवधि में आते हैं। मार्च से अक्टूबर का समय बोधगया घूमने के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है।

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महाबोधि मंदिर बोधगया बिहार से जुड़े हुए प्रश्न –

1. बोधगया में किसका मंदिर है

बोधगया में महात्‍मा बुद्ध का मंदिर है।

2. बोधगया का पुराना नाम क्या था?

 बोधगया का पुराना नाम उरुवेला था।

3. महाबोधि मंदिर को किसने नष्ट किया?

महाबोधि मंदिर को दिल्ली सल्तनत के कुतुब अल-दीन ऐबक और बख्तियार खिलजी के नेतृत्व में मुस्लिम तुर्क सेनाओं ने आक्रमण करके नष्ट किया था।

4. बुद्ध के समय में पटना का नाम क्या था?

बुद्ध के समय में पटना का नाम पाटलिग्राम था।

5. बोधगया में बोधि वृक्ष को किसने नष्ट किया?

बोधगया में बोधि वृक्ष को 600 ई. में राजा शशांक ने नष्ट किया था।

7. बिहार में बौद्ध बनने वाला पहला राजा कौन था? 

 बिहार में बौद्ध बनने वाला पहला राजा बिंबिसार था।

8. महाबोधि मंदिर कहां है? – mahabodhi mandir kahan sthit hai

महाबोधि मंदिर पटना से करीब 110 किलोमीटर दूर बिहार के गया ज़िले का बोधगया क्षेत्र में स्थित है।

9. बोधगया में महाबोधि मंदिर किसने बनवाया? – mahabodhi mandir kisne banvaya

महाबोधि मंदिर परिसर का पहला मंदिर सम्राट अशोक द्वारा तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में बनवाया गया है, और वर्तमान मंदिर 5वीं-6वीं शताब्दी में बनाया गया।

10. बोधगया किस नदी के किनारे है?

बोधगया फल्गु नदी के किनारे बसा है।

11.  महाबोधि मंदिर के निकट कौनसा सरोवर है ? mahabodhi mandir ke nikat kaun sa sarovar hai

महाबोधि मंदिर के निकट मुचलिंद सरोवर है।

12. महाबोधि मंदिर को यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों की सूची में कब शामिल किया ? bihar ka ekmatra mahabodhi mandir unesco ki suchi mein kab shamil hua

महाबोधि मंदिर को साल 2002 में यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों की सूची में शामिल किया गया था

13.  महाबोधि मंदिर किस राज्य में स्थित है ? mahabodhi mandir kis rajya mein hai

महाबोधि मंदिर बिहार राज्य में स्थित है।

14. बोधगया के महाबोधि मंदिर का निर्माण किस काल में हुआ था? 

बोधगया के महाबोधि मंदिर का निर्माण तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में सम्राट अशोक ने करवाया था. हालांकि, वर्तमान में मौजूद मंदिर 5वीं या 6वीं शताब्दी का है।

निष्कर्ष :

इस लेख में अति प्राचीन Mahabodhi Mandir Bodhgaya Bihar के बारे में विस्तार से जाना। अगर आपको यह लेख पसंद आया हो तो कमेंट करे और अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करे। 

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