इस पोस्ट मैं आपको भगवान शिव के पहले ज्योतिर्लिंग सोमनाथ मंदिर के बारे में बताऊंगा। यह मंदिर गुजरात राज्य के सौराष्ट्र क्षेत्र में स्थित है। somnath mandir अरब सागर के किनारे पर है। ज्योतिर्लिंग वह स्थान है जहां भगवान शिव दिव्य रूप में प्रकट हुए थे और स्थानीयता के अनुसार ज्योतिर्लिंग कहलाया है। इसे स्कन्द पुराण, भगवत गीता, शिव पुराण और ऋग्वेद में भी स्थान मिला है। इस लेख में आप Somnath mandir के बारे में सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
सोमनाथ मंदिर का इतिहास – Somnath mandir
कहा जाता है कि पहले भगवान सोम देव (चंद्र देव) ने इसे सोने से बनवाया था। द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण के आगमन के बाद उन्होंने इसे लकड़ी से नया रूप दिया। 7वीं सदी में वल्लभी के मैत्रक राजाओं ने मंदिर का पुनर्निर्माण किया। मुग़ल शासन काल में अल-जुनैद ने मंदिर को क्षति पहुंचाई और सन 1024 में महमूद गजनवी ने उसे तहस-नहस कर दिया लूट में अमीरी बनाई और देश छोड़ा। इसके बाद राजा भीमदेव ने मंदिर को पुनः प्रतिष्ठापित किया।
1297 ईस्वी में अलाउद्दीन खिलजी ने somnath mandir को पुनः नष्ट किया और उनके सेनापति नुसरत खाँ ने इसे फिर से लूटा। बाद में 1815 ईस्वी में प्रतिहार राजा नाग भट्ट द्वितीय ने तीसरी बार मंदिर का पुनर्निर्माण किया लेकिन हिन्दू शासकों का जीर्णोद्धार करने के बावजूद मुस्लिम शासकों ने सोमनाथ मंदिर पर 17 बार हमला किया।
सोमनाथ मंदिर की धार्मिक कथा
वेदों और धार्मिक कथाओं के अनुसार राजा दक्ष प्रजापति की 27 कन्याएँ थीं और उनका विवाह चंद्रमा जी के साथ हुआ था। चंद्र देव ने रोहिणी को सर्वाधिक प्रेम किया था। जिससे दक्ष प्रजापति की अन्य कन्याएँ परेशान थीं। दक्ष ने चंद्र देव को समझाने का प्रयास किया परंतु चंद्र देव के प्रेम में रुचिरूप उनका कोई प्रभाव नहीं पड़ा। दक्ष क्रोधित होकर चंद्र देव को क्षय रोग का श्राप दिया जिससे पृथ्वी पर शीतलता का कार्य रुका और सभी लोग परेशान हो गए।
चंद्र देव ने महा मृत्युंजय भगवान शिव की आराधना करके अपने श्राप से मुक्ति प्राप्त की। पुराणों के अनुसार चंद्र देव ने बहुत घोर तपस्या करते हुए 10 करोड़ बार महा मृत्युंजय मंत्र का जाप किया। इससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें अमरत्व का वरदान दिया और उनसे कहा तुम्हें कोई दुःख नहीं होगा और दक्ष प्रजापति के वचनों की रक्षा भी होगी। भगवान शिव ने बताया कि कृष्ण पक्ष में तुम्हारी हर दिन की एक कला कम होगी परंतु शुक्ल पक्ष में यह वृद्धि होगी और प्रत्येक पूर्णिमा पर तुम्हारा पूरा आकार प्राप्त होगा।
चंद्र देव को वर प्राप्त होने के बाद वे सभी दिशाओं में सुधा वर्षण का कार्य करने लगे। श्राप मुक्त होकर चंद्रमा जी ने देवताओं के साथ मिलकर भगवान शिव से प्रार्थना की ओर उन्हें माता पार्वती के साथ इसी स्थान पर निवास करने की आदिकाल से मिली उपदेश का आदान-प्रदान किया। इस कारण इस ज्योतिर्लिंग को सोमनाथ मंदिर भी कहा जाता है।
सोमनाथ मंदिर की वास्तुकला
somnath mandir को चालुक्य शैली में निर्मित किया गया है। इसमें गुजरात के राजमिस्त्री सोमपुरा सलात के कार्य का स्पष्ट प्रतिबिम्ब है। मंदिर के शिखर की ऊचाई 15 मीटर है और यह गर्भगृह सभा मंडप और नित्य मंडप के तीन भागों में विभाजित है। इसकी कुल ऊचाई 150 फुट है और चोटी पर एक 10 टन का कलश स्थित है जबकि मंदिर के ऊपर विराजमान ध्वजा 27 फुट ऊची है।
सोमनाथ मंदिर खुलने का समय
somnath mandir का प्रारंभिक समय सुबह 6:00 बजे है और यहाँ दिनभर तीन बार आरति होती हैं – सुबह 7:00 बजे दोपहर 12:00 बजे और शाम 7:00 बजे।
मंदिर में साउंड और लाइट शो का समय रात 8:00 बजे से रात 9:00 बजे तक है।
दर्शन का समय सुबह 6:00 बजे से रात 9:30 बजे तक रहता है और लाइव दर्शन का समय सुबह 7:00 बजे से रात 8:00 बजे तक है।
पुरुषों को अभिषेक के दौरान शर्ट और बनियान में आना चाहिए और मंदिर में ड्रेस कोड का पालन करना अनिवार्य है।
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सोमनाथ मंदिर के आस पास घूमने की जगहें
1) वेनेश्वर महादेव मंदिर
सोमनाथ ट्रस्ट धर्मशाला गेट के सामने स्थित वेनेश्वर महादेव मंदिर जो एक असामान्य शिखर वाला पूर्वमुखी मंदिर है। भगवान शिव को समर्पित है। यह स्थान सोमनाथ मंदिर से लगभग 1 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और यहाँ घूमने के लिए एक दिलचस्प स्थान है।
2) सोमनाथ बीच
अपनी खूबसूरती से जगमगाती लहरों और ग्रे रेत के लंबे खंडों के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ आप दिनभर के दर्शनीय स्थलों की यात्रा के बाद आराम कर सकते हैं। हालांकि तैराकी की आज्ञा नहीं है। सूर्यास्त के समय यहाँ पर एक बहुत सुंदर दृश्य होता है और यह बीच मंदिर से 1 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
3) प्रभास पाटन संग्रहालय
सोमनाथ में स्थित इस पुरातत्व संग्रहालय को पर्यटन स्थलों में सबसे लोकप्रिय माना जाता है। यह संग्रहालय 1921 ईस्वी में स्थापित हुआ था और इसमें लगभग 3500 से भी अधिक अद्भुत वस्तुएं हैं। इसमें प्राचीन मंदिरों की मूर्तियां, नक्काशीदार पत्थर, शिलालेख और 11 वीं शताब्दी की भगवान की मूर्तियां शामिल हैं। साथ ही अग्नि, उमा महेश्वर, भगवान विष्णु, पार्वती और नाट्य भैरव आदि देवताओं की मूर्तियां भी हैं। यह संग्रहालय मंदिर से लगभग 350 मीटर की दूरी पर स्थित है।
निष्कर्ष
उम्मीद है कि मैंने आपको somnath mandir के बारे में पूरी जानकारी सही से प्रदान की है। इस पोस्ट में मैंने इस मंदिर से संबंधित सभी महत्वपूर्ण तथ्यों को समाहित करने का प्रयास किया है।
काफी शानदार और खूबसूरत जानकारी है |