भारत के सबसे स्वच्छ शहरों में इंदौर शहर भी शामिल है। मध्य प्रदेश के भोपाल से करीबन 200 कि.मी की दूरी पर स्थित हैं, जो राज्य का सबसे अधिक जनसंख्या वाला जिला हैं। आज हम indore me ghumne ki jagah के बारे में जानेंगे।
इंदौर में घूमने की जगह – indore me ghumne ki jagah
इंदौर शहर ‘फूड कैपिटल’ के नाम से प्रसिद्ध है। इंदौर शहर स्वच्छता और indore ghumne ki jagah के क्षेत्र में काफी प्रसिद्ध है। इस शहर में काफी सारे आकर्षक टूरिस्ट प्लेस है।
1. राजवाड़ा (Rajwada Palace)
राजवाड़ा पैलेस का निर्माण 200 साल पहले हुआ था और आज भी यह महल पर्यटकों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र है। इस महल का शिल्प फ्रांस, मराठा और मुगल वास्तुशिल्प का मिश्रण है।
राजवाड़ा अपने इतिहास में तीन बार जल चुका है और 1984 में आखिरी बार आग लगने के कारण यह नष्ट हो गया था। राजवाड़ा महल इंदौर शहर के ठीक मध्य में स्थित है।
शहर का हृदय कहे जाने वाले राजवाड़ा का एक भाग राजवाड़ा है। होल्कर राजाओं द्वारा निर्मित यह भव्य महल अर्थात वह स्थान जहां राजवाड़ा के राजा रहते हैं।
राजवाड़ा महल सात मंजिला इमारत है जो सुंदर और आकर्षक है। लकड़ी और लोहे से बना राजस्थानी संरचना वाला महल का प्रवेश द्वार बेहद खूबसूरत और भव्य है। जो यहां आने वाले हर आगंतुक का स्वागत करता है।
यह पूरा महल लकड़ी और पत्थर से बना हुआ है । 1747 में मल्हार राव प्रथम ने 6,174 वर्ग मीटर भूमि पर संगमरमर, लकड़ी, ईंटों और हल की सहायता से राजवाड़ा की नींव रखी।
7 मंजिली इमारत में निचली तीन मंजिलें संगमरमर से बनी है। ऊपरी चार मंजिलें सागौन की लकड़ी से बनी हैं। 918 फीट लंबी और 232 फीट चौड़ी इस इमारत का प्रवेश द्वार 6.97 मीटर ऊंचा है। महल की वास्तुकला हिंदू राजस्थानी वास्तुशैली में बनाया गया है।
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2. कांच मंदिर (Kanch mandir)
20वीं सदी में एक कपास व्यापारी सेठ हुकुमचंद ने 1874 और 1977 के बीच इस भव्य सुंदर कांच के मंदिर का निर्माण कराया था। इसकी सुंदरता और शांति से प्रभावित होते हैं। यह मंदिर कांच का बना है इसलिए यह मंदिर कांच मंदिर से प्रसिद्ध है। छत से लेकर खंभे, दरवाजे, खिड़कियां, झूमर सब कुछ कांच का बना हुआ है।
इस मंदिर में कटे हुए कांच के झूमर और कांच की लालटेनें लगाई गई हैं। मंदिर के हर इंच को कांच के हजारों टुकड़ों से सजाया गया है। मुख्य दरवाज़ों पर सिल्वर की परत लगाई गई है,जो आकर्षण का केंद्र है। मंदिर के निर्माण के लिए बेल्जियम से कांच मंगवाए थे।
मंदिर की मुख्य मूर्ति भगवान शांतिनाथ की है। यह मूर्ति काले पत्थर की है जो जयपुर से लाए थे। इस प्रतिमा के दोनों ओर भगवान चंद्रप्रभा और भगवान आदिनाथ हैं। मंदिर में न केवल प्रतिमा बल्कि कारीगरी और कांच की पेंटिंग भी ईरान और जयपुर के श्रमिकों द्वारा निर्मित है।
एक खास बात यह है कि जब आप मंदिर को किसी भी कोण से देखते हैं तो आपको ऐसा लगता है कि इसके अंदर कई कमरे हैं। इस मंदिर को देखने का सबसे अच्छा समय सूर्यास्त का है जब सूर्य की किरणें कांच पर पड़ती हैं तो मंदिर की सुंदरता ओर भी बढ़ जाती है। इस भवन की दूसरी मंजिल पर एक मंदिर भी बना हुआ है।
3. अन्नपूर्णा मंदिर (Annapurna Mandir)
अन्नपूर्णा मंदिर इंदौर का भव्य मंदिर है। यह मंदिर कई कारणों से प्रसिद्ध है। मंदिर का निर्माण 9 वीं शताब्दी में आर्य एवं द्रविड़ स्थापत्य शैली में बना है जिसकी ऊंचाई 100 फीट से भी अधिक और द्वार काफी भव्य है।
मंदिर में चार बड़े हाथियों की मूर्ति द्वार पर सुसज्जित हैं। मंदिर हिंदुओं की देवी अन्नपूर्णा को समर्पित है।जिन्हें भोजन की देवी माना जाता है।
मंदिर की अद्भुत स्थापत्य शैली विश्व प्रसिद्ध मदुरै के मीनाक्षी मंदिर से प्रेरित है। मंदिर परिसर के अंदर अन्नपूर्णा, शिव, हनुमान और काल भैरव भगवान के अलग-अलग मंदिर हैं।
मंदिर की बाहरी दीवारों पर रंगीन पौराणिक छबिया बनी हुई हैं। इंदौर के अन्नपूर्णा मंदिर का निर्माण इंदौर के राजवंश के शासकों द्वारा किया गया था। इस मंदिर की खूबसूरत और वास्तुकला को देखकर लोग चौंक जाते हैं।
यह मंदिर मराठा और उत्तरभारतीय वास्तुकला के तत्वों का मिश्रण है। मंदिर का शिखर विशेषत: आकर्षक है और इसके दृश्याकर्षण में योगदान करता है।अन्नपूर्णा मंदिर का धार्मिक महत्व है।
और लोग इस मंदिर में आकर्षण, पोषण और समृद्धि की आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए भगवान की कृपा की गुजारिश करते हैं। अन्नपूर्णा देवी को आमतौर पर एक हाथ में भोजन का प्याला और दूसरे हाथ में डंडा पकड़ते हुए दिखाया जाता है, जिससे उनकी भोजन की प्रदाता के रूप में भूमिका को प्रतिष्ठित किया जाता है।
मंदिर को बनाए रखने और सांस्कृतिक महत्व को बनाए रखने के लिए कई पुनर्निर्माण और मरम्मत कार्य हुए हैं। नवरात्रि जैसे त्योहारों के दौरान मंदिर विशेष रूप से सजाया जाता है।
जहां भक्तगण देवी की पूजा करने और विभिन्न अनुष्ठानों और उत्सवों में भाग लेते हैं। इंदौर अन्नपूर्णा मंदिर पर्यटकों और श्रद्धालूओ के लिए धार्मिक स्थल और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है।
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4. बिजासन माता मंदिर (Bijaasan Mata Mandir)
बिजासन माता मंदिर इंदौर में घूमने की जगह का एक प्रमुख धार्मिक स्थल देवी बिजासन माता’ को समर्पित है, जो हिंदू देवी दुर्गा का एक रूप है। मंदिर एक छोटी पहाड़ी पर स्थित है। जहां से इंदौर शहर का मनोरम दृश्य दिखाई देता है।
इंदौर के प्रसिद्ध बिजासन माता का मंदिर का इतिहास 1000 साल पुराना है। यहां देवी के 9 रूप हैं कहा जाता है कि किसी काल में इस मंदिर का निर्माण काले हिरण की शुद्धि और तंत्र मंत्र के लिए किया गया था।
पहली माता कमल पर विराजमान थीं। यह जानकारी मिलने पर इंदौर के राजा शिवाजी राव होल्कर ने 1760 में मंदिर का निर्माण कराया। बिजासन माता को सौभाग्यशाली पुत्री माना जाता है। होलकर शासक ने पत्थर के चबूतरे पर विराजमान माता के नौ रूपों के लिए मराठा शैली में एक मंदिर बनवाया।
बिजासन माता मंदिर में चैत्र और श्राद्ध नवरात्रि पर मंदिर में मेला लगता है। एक भविष्यवाणी के अनुसार,नवरात्रि के दौरान देश भर से 3 लाख से अधिक भक्त यहां दर्शन और पूजा के लिए आते हैं।
5. लालबाग पैलेस (Lal Bagh Palace)
लालबाग पैलेस इंदौर के सबसे प्रसिद्ध और प्रतिष्ठित महलों में से एक है। इस महल में होल्कर्स का शाही चिन्ह बना हुआ है जिस पर लिखा है कि जो भी प्रयास करेगा वह सफल होगा।
यहां शानदार महेल, गार्डन, मंदिर और देखने के लिए कई अन्य चीजें हैं। खान नदी के तट पर बना यह तीन मंजिला महल जितना सुंदर है उससे कहीं अधिक शानदार है। इस महल का आंतरिक भाग बहुत ही पश्चिमी और सुंदर है।
यहां के अधिकांश फर्नीचर और सजावट हमें राजधानी और पूर्जा शैली की याद दिलाते हैं। यहां की सजावट उनकी छतों और फर्शों की शोभा बढ़ाती है। इस महल का निर्माण 1886 में तुखुजी राव होल्कर द्वितीय की देखरेख में शुरू हुआ था।
1921 में यह महल तुखुजी राव होल्कर तृतीय की देखरेख में तीन चरणों में बनकर तैयार हुआ था। अपनी अनूठी शैली के कारण इसे सबसे स्टाइलिश आवासों में से एक माना जाता है। आपको इंटीरियर में इटैलियन पेंटिंग और मूर्तियां देखने को मिलेंगी। इस महल का हर कोना होलकरों की भव्यता की गवाही देता है।
मुकुट तल पर होलकरों के शाही इतिहास से जुड़ी कई चीजें हैं। पहली मंजिल पर मुगल काल के सिक्कों का संग्रह है। हॉल में भरवां बाघ हैं जो शिकार के प्रति होलकरों के जुनून को स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं।
अगर हम उनके कमरों की बात करें तो बेड, ड्रेसिंग टेबल और अन्य फर्नीचर हमें उस समय की याद दिलाते हैं जब यहां शाही परिवार शासन करता था। अब इस महल की देखभाल सरकार करती है जिसे अब मरम्मत करके एक संग्रहालय में बदल दिया गया है।
6. गणेश मंदिर (Khajrana Ganesh Mandir)
indore m ghumne ki jagah में गणेश मंदिर प्रसिद्ध माना जाता है। इस मंदिर में भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। मनोकामना पूरी होने पर भक्त भगवान गणेश की प्रतिमा की पीठ पर स्वस्तिक बनाते हैं और भगवान गणेश को मोदक का भोग लगाया जाता है।
इस मंदिर का इतिहास भी भगवान गणेश के चमत्कार को दर्शाता है। भगवान गणेश ने मंदिर के निर्माण के लिए स्थानीय पुजारी मंगलभट्ट को एक सपना आया था। उन्होंने इस सपने के बारे में सभी को बताया था।
जिसके बाद रानी अहिल्याबाई होल्कर ने इस सपने के बारे में सुना तब उन्होंने भगवान गणेश के आदेश पर इस स्थान पर खुदाई करवाई और वहा भगवान गणेश की मूर्ति प्राप्त हुई। जैसा कि पंडित मंगल भट्ट ने कहा था। जिसके बाद यहां भगवान गणेश का मंदिर बनाया गया।
आज भक्तों की हर मनोकामना पूरी होने के साथ ही यह मंदिर विश्व स्तरीय प्रसिद्धि प्राप्त कर चुका है। खजराना में गणेश मंदिर का निर्माण 1735 में होल्कर राजवंश की रानी अहिल्याबाई ने करवाया था। मान्यताओं के अनुसार भक्त इस मंदिर की तीन परिक्रमा करते हैं और मंदिर की दीवार पर एक धागा बांधते हैं।
मंदिर में बुधवार ज्यादा भीड़ रहती है क्योंकि बुधवार भगवान गणेश का दिन माना जाता है। इस दिन यहां विशेष आरती का आयोजन किया जाता है। इस मंदिर में बड़े-बड़े लोग भी दर्शन के लिए आते हैं। खजराना गणेश मंदिर क्षेत्र में 33 छोटे-बड़े मंदिर हैं।
यहां भगवान राम, भगवान शिव,देवी दुर्गा, साईं बाबा, भगवान हनुमान सहित कई देवी-देवताओं के मंदिर हैं। मंदिर क्षेत्र में एक प्राचीन पीपल का पेड़ भी है। जो सबकी मान्यता के अनुसार भक्तो की मनोकामना पूरी करता है। भगवान गणेश का यह भव्य मंदिर देश के सबसे अमीर गणेश मंदिरों में से एक है।
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7. रालामंडल वन्यजीव (Rala Mandal Abhyaranya)
रालामंडल वन्यजीव indore mein ghumne ki jagah में शामिल है। इस अभयारण्य की स्थापना 1989 में की गई थी। यह पांच वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है और विभिन्न प्रजातियों के पक्षियों और अन्य वन्यजीवों का घर है।
इसमें होल्कर द्वारा निर्मित एक प्राचीन महल है जिसका उपयोग मुख्य रूप से शिकार झोपड़ी के रूप में किया जाता था। रालामंडल अभयारण्य इंदौर शहर का प्रमुख पर्यटन स्थल है। यहां बाघ,तेंदुए और हिरणों की एक बड़ी आबादी है।
जानवरों और पक्षियों को पास के राजमार्ग से निकलने वाले शोर और वायु प्रदूषण से बचाने के लिए लगभग 10,000 पेड़ों की एक हरी दीवार बनाई गई है जो की यह 180 मीटर लंबा और 6 मीटर चौड़ा है। रालामंडल वन्यजीव अभयारण्य इंदौर की एक बहुत ही बढ़िया जगह है।
यहां पर जो भी प्राकृतिक प्रेमी है। उसके लिए यह जगह बिल्कुल परफेक्ट है। रालामंडल अभ्यारण में पूरा जाली से कवर कर दिया गया है। रालामंडल अभ्यारण के प्रवेश द्वार से शिकारगाह तक पहुंचने का 2 किलोमीटर का ट्रेक है।
रालामंडल अभ्यारण के गेट में एंट्री के पास बहुत ही अच्छा अंडाकार का डिजाइन बनाया गया है। यहां पर अगर चिल्लाते हैं, तो आवाज इको होता है। यह जंगल बहुत ही सुंदर और बहुत सुंदर शिकारगाह देखने के लिए मिलती है।
शिकारगाह का निर्माण यहां के होलकर राजाओं के द्वारा किया गया है। यह शिकारगाह पहाड़ी में सबसे ऊपर बनाई गई है। पहाड़ी से चारों तरफ का सुंदर दृश्य देखने के लिए मिलता है। इस शिकारगाह के अंदर अब संग्रहालय बना दिया गया है। जहां पर तरह-तरह की वस्तुओं का संग्रह देखने के लिए मिलता है।
यहां पर मुख्य रूप से होलकर के समय की बहुत सारी वस्तुओं को देखा जा सकता है। यहां पर जानवरों के बारे में भी जानकारी मिल जाती है। रालामंडल अभ्यारण में प्रतिवर्ष लगभग 90000 से ज्यादा पर्यटक घूमने के लिए आते हैं।
8. सराफा बाजार (Sarafa Bazar)
इंदौर सराफा बाजार पूरे भारत में एक अनोखा बाजार है। जहां दिन में आभूषणों की दुकानें लगती हैं और रात में यह स्ट्रीट फूड में बदल जाता है। यहां बड़ा सराफा बाजार और छोटा सराफा बाजार है।
इंदौर का छप्पन हो या सराफा आपको यहां हमेशा ऐसे लोग मिल जाएंगे,जो दिन-रात खाने-पीने के शौकीन होते हैं। महाराजा होल्कर ने रात में भोजन करने के लिए दुकान लगाने का निर्णय लिया था।
उस समय सूर्य अस्त होते ही दुकानें बंद करने का नियम था और दुकानें बंद होने के बाद उनकी सुरक्षा करना एक बड़ी जिम्मेदारी थी। इसलिए रात में सोने और चांदी की दुकानों की सुरक्षा के लिए महाराजा होल्कर ने रात में भोजन की दुकानें स्थापित करने का निर्णय लिया। इस फैसले के कारण आज इंदौर में देश ही नहीं बल्कि दुनिया के किसी भी कोने से आया कोई भी व्यक्ति यहां आए बिना नहीं रहता।
कोई इंदौर आया हो और सराफा न जाए ऐसा तो हो ही नहीं सकता चाहे महीने की कोई भी तारीख हो या सप्ताह का कोई भी दिन हो सराफा का आनंद हर दिन देखने को मिलता है। यहां लोग नाश्ता लेकर आते हैं और लजीज व्यंजनों का आनंद लेते हैं।अब सराफा न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी अपनी पहचान बना चुका है।
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9. पातालपानी जलप्रपात (Patalpani Water Falls)
मध्य प्रदेश के इंदौर जिले मे स्थित पातालपानी जलप्रपात प्रकृति के सौंदर्य से सुशोभित यह झरना डॉ. आंबेडकर नगर (महू) तहसील के निकट स्थित है। झरना लगभग 300 फीट ऊंचा है। वर्षा ऋतु में इन्दौर की ओर से जाने वाले पर्यटकों के लिए अत्यन्त मनोरम है।
चारों ओर फैली हरियाली और घुमावदार पहाड़ियां आपका मन मोह लें। यह स्थान इंदौर के प्रमुख पर्यटक स्थल के साथ साथ क्षेत्र के स्थानीय लोगों के लिए एक लोकप्रिय पिकनिक स्थल भी है। घने जंगल, राजसी पहाड़ियों, साफ आसमान और हरे-भरे मैदानों से घिरा पातालपानी झरना घूमने के लिए एक आदर्श स्थान है।
पातालपानी वॉटरफॉल प्रतिदिन की भाग दौड़ और भीड़-भाड़ भरी जिन्दगी से दूर कुछ समय प्राकृतिक सुन्दरता और शांत वातावरण के मध्य व्यतीत करने के लिए शानदार और मनोह्नीय दृश्यों की पेशकश करता है।
पातालपानी का सबसे प्रमुख आकर्षण पातालपानी जलप्रपात है। मानसून के मौसम में जलप्रपात को विशाल रूप में देखा जा सकता है। इसके अलावा सफेद रंग की गर्जना वाली उत्पन्न धाराएँ अद्भुद और मनमोहनीय नज़ारे प्रस्तुत करती है।
निष्कर्ष
आज के लेख में आपको इंदौर में घूमने की जगह के बारे में विस्तार से बताया। सभी को भी यात्रा करना पसंद है। इसीलिए हम लेख के जरिए पर्यटकों को जानकारी देते है। हमे उम्मीद है की indore me ghumne ki jagah लेख आपको पसंद आया होगा। जानकारी अच्छी लगी हो तो अपने दोस्तो के साथ शेयर जरूर करे ताकि हम आपके लिए इस तरह की जानकारी प्रदान करे।