Udaipur Me Ghumne Ki Jagah In Hindi: उदयपुर जिसे “पूर्व का वेनिस” और “झीलों का शहर” कहा जाता है, राजस्थान का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है। यह शहर अपनी खूबसूरत अरावली पहाड़ियों, विशाल झीलों, भव्य महलों और ऐतिहासिक मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। यहां का सिटी पैलेस उदयपुर, दुनिया के सबसे बड़े महलों में से एक है और पर्यटकों के लिए एक प्रमुख आकर्षण है।
उदयपुर में घूमने का सही समय अक्टूबर से मार्च तक है, जब मौसम ठंडा और आरामदायक होता है। इस शहर में शिल्पग्राम महोत्सव और मेवाड़ महोत्सव जैसे सांस्कृतिक त्योहार भी होते हैं, जो यहां की समृद्ध संस्कृति को दर्शाते हैं।
उदयपुर घूमने की जगहें – Udaipur Me Ghumne Ki Jagah In Hindi
1. सिटी पैलेस – City Palace
उदयपुर में कई प्राचीन स्मारक है जिसमे सिटी पैलेस प्रमुख स्थानों में से एक है, इसका निर्माण पिछोला जिल के किनारे वर्ष 1559 में महाराणा उदयसिंह ने करवाया था। उदयसिंह के उत्तराधिकारियो ने करीबन 400 सालो तक इस महल में आंगन, मंडप, गलियारे, छतों, कमरे और उद्यानो का निर्माण करवाया।
हरेभरे उद्दानो के बीच मे स्थित सिटी पैलेस मध्ययुगीन, यूरोपीय और चीनी वास्तुकला देख सकते है। इस महल का निर्माण ग्रेनाइट और संगमरमर से किया गया है। महल में एक संग्रालय है जिसमे राजपूत कला और संस्कृति को प्रदर्शित करता है।
2. जगदीश मंदिर – Jagdish Temple
जगदीश मंदिर मनमोहक मुर्तिया और शांतिवूर्ण वातावरण से तीर्थयात्रियों को सबसे ज्यादा आकर्षित करता है, जो भगवान् विष्णु और लक्ष्मी नारायण के नाम से प्रसिद्ध है। इस मंदिर का निर्माण वास्तुशास्त्र और हिंदू विधि विधान द्वारा साल 1651 वर्षे में पूर्ण हुवा। महाराजा जगत सिंह ने 1628 से 1653 तक उदयपुर शहर पे राज किया था, जो आज भी उनकी यादमे शिलालेखों के रूपमे संदर्भित करता है।
3. सहेलियों की बाड़ी – Saheliyon ki bari
राजस्थान के उदयपुर शहर में सहेलियों की बाड़ी गार्डन के रूप में प्रसिद्ध है,जो महाराजा संग्राम सिंह ने महारानी के साथ आने वाली युवतियों के लिए बनवाया था। उदयपुर में फतेह सागर झील के पास ये गार्डन स्थित है, जिसमे हरे-भरे लॉन, वॉकिंग लेन और फव्वारे से सुशोभित है। 18 वीं शताब्दी का ये स्मारक शाही संरचना और पारंपरिक वास्तुकला से आने वाले सभी पर्यटकों को आकर्षित करता है।
4. जग मंदिर महल – Jagmandir Island Palace
जग मंदिर महल पिछोला झील के दक्षिणी द्रीप पर राजस्थान के उदयपुर में विशेष पर्यटन स्थल में से एक है। जग मंदिर महल का निर्माण संगमरमर और बलुआ पत्थर से हुआ है, यह मंदिर तीन मंजिला के साथ शुद्ध सफ़ेद संगमरमर की सौंदर्यता से आठ हाथियों की रचना की गई है जिसे देख के पर्यटक मंत्रमुग्ध हो जाते है।
जग मंदिर पैलेस का निर्माण महाराणा अमरसिंह द्वारा 1551 में शुरू किया गया था जो महाराणा कर्ण सिंह द्व्रारा जारी रखा गया परन्तु यह महल का सम्पूर्ण काम 17 वी शताब्दी के वर्षो में महाराणा जगत सिंह द्वारा समाप्त हुआ। जग मंदिर महल की सौंदर्यता को देखकर शाहजहाँ द्वारा ताजमहल का निर्माण किया गया।
5. बागोर की हवेली – Bagore Ki Haveli
बागोर की हवेली एक भव्य महल है जो मेवाड़ साम्राज्य के प्रमुख मंत्री-अमर चंद बडवा द्वारा पिछोला ज़िल के तट पर अठारहवीं शताब्दी में बनाया गया था। दर्पण और कांच से बनी हुई ये हवेली इतिहास प्रेमियों और संस्कृति खोजकर्ताओं के लिए आकर्षक है, और इस हवेली की खास बात यह है की शाम होने पर पर्यटकों के लिए लोकप्रिय नुर्त्यकला प्रस्तुत होती है।
6. सज्जन गढ़ किला – Sajjangarh Monsoon Palace
सज्जन गढ़ किला लगभग 1884 में महाराणा सज्जन सिंह द्वारा बनाया गया था जो उदयपुर शहर के बाहरी इलाके में बासंडरा तट पर स्थित है और वो मेवाड़ राजवंश से सबंधित निवास स्थान है। सज्जनगढ़ महल उदयपुर के जानेमाने स्थलों में से एक है जिसकी ऊंचाई समुद्र तट से लगभग 944 मीटर है। उदयपुर में लोकप्रीय पर्यटकों को आकर्षित करने वाला ये किल्ला “मानसून पैलेस” नाम से भी जाना जाता है।
7. पिछोला झील – Lake Pichola
पिछोला झील उदयपुर की सबसे बड़ी और पुरानी झीलो में से एक है जो मानवसर्जित है। ये झील बहुविद्य पर्यटकों को अपने सुंदरता और शांतिपूर्ण वातावरण से मनमोहित करती है। स्वर्ग के समान माने जानेवाली ये झील बड़े बड़े पहाड़ो, पुरानी इमारतों और स्नानाग्रह से गिरी हुई है।
कुदरती सौंदर्यता और शांतिपूर्ण वातावरण में मनोरंजन के लिए इस झील में नौकादल और बोटिंग जैसे खेल पर्यटकों को ज्यादा उत्साहित करते है। पिछोला झील महाराणा लाखा के शासन के दौरान आदिवासी जाती के पिच्छू बंजारा ने 1362 में बनवाया था। जिसका नाम बादमे पिछोला झील रखा गया।
8. फतेह सागर झील – Fateh Sagar Lake
फतेह सागर झील उदयपुर में उत्तर-पश्चिम दिशा में स्थित है जो उदयपुर के सबसे खास पर्यटन स्थलों में से एक शानदार झील है। मानव निर्मित ये झील अरावली पहाड़ियों से घिरे हए शहर को अपनी सुंदरता और शांत वातावरण से मंत्रमुग्ध कर देती है।
फ़तेह सागर झील जाने का रास्ता मोती मगरी रोड से जाता है जो सब पर्यटक वाहन से आसानी से जा सकते है। इस झील का निर्माण जय सिंह ने वर्ष 1687 में शुरू किया था परन्तु लगभग 200 साल बाद पानी की बाढ़ के वजह से नष्ट हो जाने के बाद महाराणा फतेह सिंह ने 1889 में कनॉट बांध बनाकर इस झील का पुनः निर्माण किया।
9. करणी माता मंदिर – Karni Mata Temple, Udaipur
महाराजा गंगा सिंह द्वारा बीकानेर से 30 किलोमीटर दूर 20 वी शताब्दी में करणी माता मंदिर का निर्माण किया गया था। यह स्थान चूहों की घनी आबादी के लिए जाना जाता हैं, जिसकी संख्या लगभग 25000 से अधिक मात्रा में है। पत्थरों और संगमरमर से करणी माता मंदिर को बनाया गया है, इस मंदिर के अंदर चांदी के दो गेट और चूहों के बचाव के लिए जाली भी लगवाई गई है।
10. लोककला मंडल – Bhartiya Lok Kala Mandal
राजस्थान, गुजरात और मध्य्प्रदेश आदि वगेरे शहरो मे लोक कला, संस्कृति, गीत और त्योहारों के लिए लोक कला मंडल उदयपुर में स्थित है। इसेके अलावा एक संग्रहालय भी है जो अलग अलग कलाकृतियों को राजस्थानी संस्कृति मे प्रदर्शित करता है। लोककला मंडल एक उल्लेख के योग्य है क्योकि 2000 साल पुरानी कला को लोगो के दिमाग में अभी तक ज़िंदा रखा है।
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11. कुंभलगढ़ – Kumbhalgarh Fort
कुंभलगढ़ तक पहुंचने के लिए विभिन्न परिवहन विकल्प उपलब्ध हैं। निकटतम रेलवे स्टेशन फालना है, जो लगभग 80 किमी दूर स्थित है, और यहां से मुंबई, अजमेर, दिल्ली, अहमदाबाद, जयपुर, और जोधपुर के लिए कनेक्शन मिलते हैं।
हवाई मार्ग से, उदयपुर एयरपोर्ट लगभग 85 किमी दूर है, जहां से दिल्ली, मुंबई और जयपुर से फ्लाइट्स उपलब्ध हैं। सड़क मार्ग से, कुंभलगढ़ राजस्थान राज्य सड़क परिवहन निगम और निजी बस सेवाओं द्वारा प्रमुख शहरों जैसे राजसमंद, नाथद्वारा, सादरी और उदयपुर से जुड़ा हुआ है।
12. महाराणा प्रताप स्मारक – Maharana Pratap Smarak
हल्दीघाटी की लड़ाई, जो 1576 ई. में मुगलों और राजपूतों के बीच लड़ी गई, भारतीय इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण और यादगार लड़ाइयों में से एक मानी जाती है। इस युद्ध में महाराणा प्रताप ने अकबर की विशाल मुगल सेना का मुकाबला किया था।
हालांकि मुगलों ने युद्ध में विजय प्राप्त की, लेकिन वे महाराणा प्रताप को पकड़ने में असफल रहे। इस युद्ध में चेतक, महाराणा प्रताप का वफादार घोड़ा, विशेष रूप से याद किया जाता है। घायल होने के बावजूद, चेतक ने अपनी जान की परवाह किए बिना महाराणा को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया, और इस वीरता के कारण उसे राणा के साथ ही सम्मानित किया गया।
13. अहार संग्रहालय – Ahar Museum
अहार संग्रहालय उदयपुर से 2 किमी दूर स्थित एक ऐतिहासिक स्थल है, जो मेवाड़ के महाराणाओं के श्मशान स्थल के रूप में प्रसिद्ध है। यह संग्रहालय 19 संगमरमर की छतरियों के लिए जाना जाता है, जिनकी जटिल नक्काशी 15 वीं सदी के मंदिरों की शैली को दर्शाती है। यहां पर महाराणा अमर सिंह, संग्राम सिंह, और अन्य शासकों की छतरियाँ देखी जा सकती हैं। यह स्थल मेवाड़ के गौरवमयी इतिहास और वास्तुकला का अद्वितीय उदाहरण पेश करता है।
14. नेहरू गार्डन – Nehru Garden
नेहरू गार्डन उदयपुर के फतेह सागर झील के मध्य स्थित एक सुंदर 4.5 एकड़ में फैला गार्डन है। इसमें पिरामिड आकार के रंगीन फव्वारे हैं, जो मैसूर के वृंदावन गार्डन के फव्वारों से मिलते-जुलते हैं। गार्डन के उत्तर-पश्चिमी हिस्से में नाव के आकार में एक फ़ूड कोर्ट भी है।
यह हरा-भरा गार्डन ताड़ के पेड़ों से घिरा हुआ है, जो इसके आकर्षण को और बढ़ाता है। चूंकि यह गार्डन एक छोटे द्वीप पर स्थित है, यहाँ तक पहुँचने के लिए मोटरबोट की सुविधा उपलब्ध है, जिसे सरकारी और निजी नौकायन एजेंसियां संचालित करती हैं।
15. गणगौर घाट – Gangaur Ghat
गणगौर घाट उदयपुर की पिछोला झील का प्रमुख तट है, जो ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। यह सिटी पैलेस और बागोर की हवेली से जुड़ा हुआ है, और यहाँ से झील का दृश्य बेहद आकर्षक होता है। गणगौर उत्सव और अन्य त्योहारों के दौरान यह घाट रंगीन और जीवंत होता है, जहाँ पारंपरिक पूजा और नृत्य होते हैं। स्थानीय लोग इस घाट का इस्तेमाल नहाने और कपड़े धोने के लिए भी करते हैं। शाम के समय, जब सूर्य अस्त होता है, तो घाट और उसके आस-पास की सड़कें रंग-बिरंगी रोशनी से जगमगाती हैं, जो एक जादुई माहौल पैदा करती हैं।
16. विंटेज और क्लासिक कार संग्रहालय – Vintage & Classic Car Collection
विंटेज और क्लासिक कार संग्रहालय उदयपुर के गुलाब बाग रोड पर स्थित है और यह शहर के प्रमुख आकर्षणों में से एक है। यह संग्रहालय गार्डन होटल और गुलाब बाग चिड़ियाघर के पास है, जो पर्यटकों के लिए एक आदर्श संयोजन प्रदान करते हैं।
संग्रहालय, लेक पैलेस रोड से महज 10 मिनट की पैदल दूरी पर है, जिससे यह आसानी से पहुंचा जा सकता है। यह संग्रहालय 20 से अधिक प्राचीन और क्लासिक कारों का शानदार संग्रह प्रस्तुत करता है, जिसमें रोल्स-रॉयस, कैडिलैक, एमजी-टीसी, और मर्सिडीज जैसे दुर्लभ मॉडल शामिल हैं। साथ ही, इसमें सौर ऊर्जा संचालित रिक्शा और अन्य पुराने वाहन भी प्रदर्शित किए गए हैं।
17. सौर वेधशाला – Udaipur Solar Observatory
सौर वेधशाला (यूएसओ) उदयपुर के फतेह सागर झील के पास स्थित है और यह भारत की एकमात्र वेधशाला है जो पानी के बीच स्थित है। इसका निर्माण 1975 में डॉ. अरविंद भटनागर द्वारा किया गया था, और इसे भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के सहयोग से स्थापित किया गया।
इसका मुख्य उद्देश्य सूर्य की गति का अध्ययन करना है, और यह दक्षिण कैलिफोर्निया के बिग बीयर सोलर इन्वेंट्री मॉडल पर आधारित है। वेधशाला को 1981 में भारत सरकार के अंतरिक्ष विभाग द्वारा फिजिकल रिसर्च लैबोरेट्री, अहमदाबाद को सौंपा गया। यह एशिया में सबसे बेहतरीन सौर अवलोकन केंद्र के रूप में जाना जाता है।
18. मोती मगरी – Moti Magri
उदयपुर अपनी समृद्ध विरासत और इतिहास के लिए प्रसिद्ध है, और मोती मगरी इस शहर की सुंदरता में चार चांद लगाती है। यह स्थल राजपूत वास्तुकला का अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत करता है और बहादुर सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित करता है। महाराणा प्रताप सिंह, “मेवाड़ के शेर”, ने अपनी मातृभूमि और स्वतंत्रता के लिए महान संघर्ष किया, और मुगलों के सामने कभी नहीं झुके। उनकी वीरता और बलिदान की कहानी आज भी लोगों के दिलों में जीवित है।
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19. ढेबर झील – Dhebar Lake
जयसमंद झील, जिसे ढेबर झील भी कहा जाता है, राजस्थान के उदयपुर जिले में स्थित है और यह एशिया की सबसे बड़ी मानव निर्मित झील है। साथ ही, यह भारत की दूसरी सबसे बड़ी कृत्रिम झील भी मानी जाती है।
यह झील उदयपुर से लगभग 45 किलोमीटर की दूरी पर फैली हुई है और इसका क्षेत्रफल 87 किलोमीटर है। इस झील का निर्माण 17वीं शताब्दी में राणा जय सिंह ने गोमती नदी पर करवाया था, और इसके पास एक भव्य संगमरमर का बांध भी है, जो 984.3 फीट ऊंचा है।
20. श्रीनाथजी मंदिर – Shrinathji Temple
श्रीनाथजी मंदिर राजस्थान के नाथद्वारा में स्थित एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है, जो अपनी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर के लिए जाना जाता है। यह मंदिर उदयपुर से लगभग 50 किमी दूर है और अपनी अद्भुत वास्तुकला तथा शांत वातावरण के लिए प्रसिद्ध है। यहां हर साल लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं, जो इसकी दिव्यता और धार्मिक महत्व का अनुभव करते हैं।
21. नीमच माता मंदिर – Neemach Mata Mandir
नीमच माता मंदिर उदयपुर के फतेहसागर झील के पास स्थित एक प्रमुख धार्मिक स्थल है। यह देवली पहाड़ी पर स्थित है, जो झील से महज 7 किलोमीटर दूर है। देवली पहाड़ी, जो शहर का सबसे ऊंचा शिखर है, पर्यटकों को अपनी प्राकृतिक सुंदरता से आकर्षित करती है।
इस मंदिर का निर्माण 1652 में शुरू हुआ था और 1680 में पूरा हुआ। मंदिर में स्थानीय लोगों की गहरी आस्था है और वे नियमित रूप से यहां पूजा करने आते हैं। नीमच माता मंदिर न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह उदयपुर के मनोरम दृश्य और पहाड़ी वातावरण के कारण पर्यटकों के लिए एक आकर्षक स्थल भी बन चुका है।
22. लोक धरोहर – Lok Dharohar
वर्ष 2000 के अंत में, श्री दीपक दीक्षित ने राजस्थानी संस्कृति और कला को बढ़ावा देने के लिए एक अनोखी पहल शुरू की, जिसे “धरोहर” नाम दिया गया। उनका उद्देश्य था राजस्थानी कला, संगीत, नृत्य, और संस्कृति के विभिन्न पहलुओं को एक मंच पर लाना।
इस पहल में पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के निदेशक डॉ. विश्वास मेहता का भी महत्वपूर्ण योगदान था। “धरोहर” ने 14 वर्षों तक उदयपुर में सांस्कृतिक उत्सवों का आयोजन किया, जो न केवल शहर के इतिहास को जीवित रखता है, बल्कि इसे एक समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर के रूप में स्थापित करता है।
23. बोहरा गणेश जी मंदिर – Bohra Ganeshji Temple
बोहरा गणेश जी मंदिर, उदयपुर में स्थित एक 350 साल पुराना प्रसिद्ध मंदिर है, जहां भगवान गणेश की पूजा होती है। मंदिर का विशेष दिन बुधवार है, जब भक्तों की संख्या अधिक होती है।
यहां भक्त अपनी समस्याओं का उल्लेख करते हुए कागज पर लिखकर भगवान गणेश के सामने छोड़ते हैं, और माना जाता है कि भगवान उनकी परेशानियाँ दूर करते हैं।
यह मंदिर मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के पास और धूलकोट क्षेत्र के नजदीक बोहरा गणेश रोड पर स्थित है। मंदिर सुबह 6:00 बजे से शाम 8:00 बजे तक खुला रहता है।
24. राजसमंद झील – Rajsamand Lake
राजसमंद झील, राजस्थान की एक प्रमुख कृत्रिम झील है, जो राजसमंद शहर में स्थित है और उदयपुर से 66 किलोमीटर दूर है। इसे महाराणा राज सिंह ने 17वीं शताब्दी में गोमती नदी पर बनाया था, और इसका जलग्रहण क्षेत्र 196 वर्ग मील है। यह भारत की दूसरी सबसे बड़ी कृत्रिम झील मानी जाती है।
यह झील तीन नदियों गोमती, केलवा और तली पर बने बांधों से बनाई गई थी, जिनका निर्माण 1662-1676 के बीच हुआ। महाराणा राज सिंह ने इसे सूखे से निपटने और रोजगार प्रदान करने के लिए बनाया। सूर्यास्त के समय, झील का दृश्य बेहद सुंदर और आकर्षक होता है। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, यह झील 6 वर्षों तक इम्पीरियल एयरवेज के सीप्लेन बेस के रूप में उपयोग की गई थी।
निष्कर्ष:
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