गुजरात अहमदाबाद में घूमने की जगह – Ahemdabad Me Ghumne Ki Jagah

Ahemdabad Me Ghumne Ki Jagah

एक ऐसा शहर जिसमें परंपराएं और संस्कृति 600 साल पुरानी है और साथ-साथ इस्लाम, हिंदू और जैन धर्म जैसे कई धर्म एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। अहमदाबाद इतिहास और वास्तुकला प्रेमियों के लिए पसंदीदा स्थलों में से एक माना जाता है क्योंकि यहाँ कई प्राचीन स्थल हैं, जो अहमदाबाद शहर के पीछे छिपे हुए इतिहास को जानने के लिए आते रहते हैं। तो आइये इस आर्टिकल में हम Ahemdabad me ghumne ki jagah के बारे में जानकारी देंगे साथ साथ इस शहर का इतिहास, वास्तुकला और प्राचीन स्थलो के बारे मे भी जानकारी प्रदान करेंगे।

अहमदाबाद  का  इतिहास  – Ahmedabad History In Hindi 

गुजरात का प्रातः काल का सबसे बड़ा शहर अहमदाबाद है और अहमदाबाद साबरमती नदी के तट पर ओर पश्चिम भारत में बसा हुआ है। अहमदाबाद की स्थापना के बाद यह शहर जिले की राजनीतिक रूढ़िवादी राजधानी के रूप में कार्य करता रहता है। 12वीं शताब्दी के आसपास सबसे प्राचीन बस्ती का उल्लेख चौलुक्य परंपरा तहत किया गया था।

अहमदाबाद की स्थापना 26 फरवरी 1411 में हुई और 4 मार्च 1411 को प्रथम अहमद शाह ने इसको राजधानी घोषित कर दिया। बाद में राजधानी को चंपानेर में बदल दिया गया, तब यह शहर शासन सल्तनत में खूब फला-फूला था।

अहमदाबाद अगले 135 वर्ष तक मुगल साम्राज्य की शुरुआती शासकों के अधीन अपना महत्व पुनः प्राप्त करता रहा था, इसके बाद अहमदाबाद शहर को मराठा और मुगलों के बीच संयुक्त शासन किया था। संयुक्त शासन में भी बहुत ही ज्यादा इस शहर को नुकसान उठाना पड़ा था। जब ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने इस शहर को अपने कब्जे में लिया, तब शहर को फिर से राजनीतिक रूप में संतुलित किया गया था।

इस अहमदाबाद शहर ने ब्रिटिश राजशाही के नेतृत्व में क्षेत्र की स्थापना की और रेल मार्ग के उद्घाटन द्वारा राजनीतिक स्वतंत्रता को बढ़ाने के साथ-साथ विकास फिर से स्थापित किया गया। 1915 मैं महात्मा गांधी आगमन के बाद शहर को स्वतंत्रता आंदोलन के लिए सभी लोगों के ध्यान का केंद्र बनाया गया और साथ साथ सरदार पटेल जैसे कई कार्य करताओं विकास में भाग लेने से पहले अहमदाबाद शहर जैसे कई क्षेत्र में सेवाएं की थी।

जब 1960 गुजरात का विभाजन हुआ, तब 1965 में गांधीनगर की स्थापना तक यह शहर राज्य की राजधानी बन चुकी थी और अहमदाबाद गुजरात का सामाजिक एवं आर्थिक केंद्र भी बन चुका था, साथ-साथ यह शहर भारत का सातवां सबसे बड़ा शहर हमें देखने को मिलता है। इस शहर को “भारत का मेनचेस्टर” भी कहा जाता है और इस शहर में हमें दो झीलें देखने को मिलते हैं, जैसे कि कांकरिया और वस्त्रापुर। इन दोनों झीलों को साबरमती नदी दो भागों में बांटती है।

उसके बाद पूर्वी अहमदाबाद में पुराना नगर क्षेत्र देखने को मिलता है, जिसकी विशेषताएं खचाखच बड़े बाजारों कई पूजा स्थल और पॉल प्रणाली जैसे देखने को मिलते हैं। पश्चिम अहमदाबाद में कई शैक्षणिक संस्था, आधुनिक भवन, मल्टीप्लेक्स, शॉपिंग मॉल और कई प्रकार के नए व्यावसायिक काम भी हैं।

अहमदाबाद में घूमने की जगहें- Ahemdabad Me Ghumne Ki Jagah

1 . साबरमती आश्रम

दक्षिण अफ्रीका से गांधीजी के वापस लौट के बाद 25 मई 1995 को भारत का पहला आश्रम अहमदाबाद की कोचरब क्षेत्र में स्थापित किया गया। इसके बाद 70 जून 1970 में इस आश्रम को साबरमती नदी के तट पर स्थानांतरित कर दिया गया था। पौराणिक रूप से यह आश्रम दधीचि ऋषि का था और जिन्होंने एक धर्म युद्ध के लिए अपनी हड्डियों का दान कर दिया था। साबरमती आश्रम को दूसरे शब्दों में हरिजन आश्रम के रूप में भी जाना जाता है।

1970 से लेकर 1930 तक मोहनदास करमचंद गांधी का घर था और मूल रूप से यह आश्रम सत्याग्रह के लिए बनवाया था, साथ-साथ यह आश्रम महात्मा गांधी द्वारा शुरू किए गए निष्क्रिय प्रतिरोध आंदोलन को दर्शाता है।

ब्रिटिश नमक कानून के विरुद्ध गाँधी आश्रम से 12 मार्च 1930 को गांधी जी ने 241 मील दूर सुप्रसिद्ध दांडी यात्रा शुरुआत की थी। भारत स्वतंत्र होने के बाद यानी जनवरी 1948 में गांधी जी की हत्या हुई थी। आज यह आश्रम प्रेरणा और मार्गदर्शन का एक स्रोत बन चुका है। जिसमें हमें गांधी जी के जीवन मिशन का स्मारक भी देखने को मिलता है और उनके लोगों के लिए जीवन का संघर्ष भी सुनने को मिलता है। आगे पढ़े : महात्मा गांधी साबरमती आश्रम: इतिहास, महत्व और यात्रा गाइड

2. सरखेज रोज़ा

यह मस्जिद का निर्माण 15 में शताब्दी के मध्य में सुल्तान महमूद बेगड़ा ने अहमद शाह की स्मृति में बनवाई थी, साथ-साथ इस मस्जिद में मकबरा और महल परिसर हमें देखने को मिलता है। इस मस्जिद के अंदर एकांतवास के रूप में कई शासन को द्वारा उपयोग किया जाता था। इस सरखेज रोज़ा के अंदर महमूद बेगड़ा और गंज बख्श के मकबरे देखने को मिलते हैं। सरखेज रोजा के अंदर एक खुशनुमा सामुदायिक माहौल है, जहां स्थानीय लोगों बड़े प्रांगण में पिकनिक मनाते हैं।

3. कांकरीया झील

सबसे बड़ी झील में से एक मानी जाने वाली झील अहमदाबाद में है, जिसको हम कांकरिया झील से पहचानते हैं और यह झील 76 एकड़ में फैली हुई है। कांकरिया झील का निर्माण सुल्तान अहमद शाह ने 15वीं शताब्दी करवाया था और इस झील के मध्य में नगीना नामक वाडी का उपवन भी है। कांकरिया झील के हमें दो नाम सुने को मिलते हैं, जैसे कि ‘क़ुतुबु हौज’ और ‘हौज-ए-क़ुतुबु’।

कांकरिया पर्यटकों के बीच बहुत ही सुप्रसिद्ध है और जिनके चारों ओर बहुत ही खूबसूरत बगीचे है। कांकरिया के आसपास बाग महल, चिड़ियाघर, बाल वाटिका, लोक कला, संग्रहालय आदि।

4. वस्त्रापुर झील

वस्त्रापुर झील को अधिकारिक तौर पर भक्त कवि नरसिंह मेहता झील से भी जाना जाता है। अहमदाबाद नगर निगम द्वारा 2002 के बाद इस झील का सौंदर्यीकरण किया गया और तब से यह झील शहर की एक लोकप्रिय स्थान बन चुका है। इस झील में नर्मदा नदी का पानी कभी-कभी बहने दिया जाता है। 2013 में वस्त्रापुर झील का नाम बदलकर नरसिंह मेहता सरोवर के नाम पर रख दिया गया था।

2016 में वस्त्रापुर झील तकरीबन पुरी सुख गई थी और जिसमें कई मछलियों को अपनी जान देनी पड़ी थी। कुछ साल बाद यानी 2019 के सितंबर महिने में, वस्त्रापुर झील को नर्मदा नदी से भरने की योजना बनाई थी।

5. गुजरात साइंस सीटी

अहमदाबाद के अंदर गुजरात साइंस सिटी है, जिसका निर्माण 2002 में किया गया था और 2021 में इसको विस्तारित किया गया, जिसमें IMAX 3D थिएटर, विज्ञान, अंतरिक्ष, ग्रह पृथ्वी, संगीतमय फव्वारा, एक मछलीघर, एक एवियरी और जीवन विज्ञान पार्क जैसे अनेक सुविधाएँ भी हैं।

2021 में रोबोटिक्स गैलरी, जलीय गैलरी और प्रकृति पार्क का निर्माण किया गया और जिसकी लागत ₹ 127 करोड़, ₹ 264 करोड़ और ₹ 14 करोड़ से बनवाया गया था।

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6. भद्रा किला

अहमद शाह ने ई.1411 में अहमदाबाद के संस्थापक में भद्रा किला बनवाया था, जिसका नाम भद्रकाली मंदिर के नाम पे रखा गया था। यह किला 43 एकड़ में फैला हुआ है, जिसको आर्क किला भी कहा जाता है।

इस प्रतिष्ठित किले में एक दिन धन की देवी लक्ष्मी प्रकट हुई थी, जिन्होंने सुल्तान को आशीर्वाद दिया था और शहर को हमेशा समुद्र रहेगा ऐसा आशीर्वाद दिया था।

यह किला वास्तुकला का एक आकर्षक और अद्भुत नमूना है क्योंकि यह किले के अंदर 8 छोटे द्वार, 14 मीनारें और 2 बड़े द्वार जैसे अनेको है। इस किले के भीतर एक भद्रकाली मंदिर है और यह देवी शहर की रक्षक मानी जाती है। इस मंदिर का निर्माण आजम खान के काल में किया गया था। इस मंदिर रोजाना कई भक्तिगन आते रहते हैं।

1878 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने भद्रा किले के अंदर एक घंटाघर बनवाया था, जिसमें रात की रोशनी के लिए मिट्टी के तेल का लैंप लगवाया था। उसके बाद अंग्रेजों ने बिजली के लैंप से 1915 में बदल दिया था।

7. जुम्मा मस्जिद

मुसलमानों के लिए पवित्र और आध्यात्मिक स्थल में से एक मस्जिद हैं। जहां नियमित रूप से मुसलमान भाई लोग प्रार्थना के लिए जाते है। जुम्मा मस्जिद को दूसरे जामी मस्जिद से भी मशहूर स्थल है। ऐसा माना जाता है कि यह मस्जिद उस समय की सबसे बड़ी मस्जिद थी।

यहां की मस्जिद कई पर्यटकों को अपनी ओर खींचती रहती है। शुक्रवार के शुभ दिन जुमा शब्द की उत्पत्ति हुई थी। जुमा मस्जिद का निर्माण कार्य 1411 से लेकर 1424 में पूरा हुआ था।

इस भव्य मस्जिद को बनने में तकरीबन 13 साल लग गए थे, लेकिन इस मस्जिद को बनने में पुराने जैन और हिंदू मंदिरों के अवशेषों का उपयोग किया था। शिलालेख से पता चलता है कि इस मस्जिद का उद्घाटन 4 जनवरी 1424 अहमद शाह ने किया था और इस मस्जिद की लंबाई 75 मी और 66 मी चौड़े में स्थित है।

जामा मस्जिद के एक कोने पर प्रार्थना कक्ष है और बाकी तीनों तरफ स्तंभों की कतारें देखने को मिलती है। जॉन मार्शल ने इस मस्जिद की भव्यता से मंत्रमुग्ध होकर वास्तुकला का एक विशेष उत्कृष्ट उदाहरण घोषित किया था।

8. लॉ गार्डन नाइट मार्केट

जब हम कहीं पर भी घूमने जाते हैं, तब उस जगह की खरीदारी किए बिना कोई यात्रा पुरी नहीं होती हैं। इस लिए अहमदाबाद में खरीदी के लिए एक ऐसा ही स्थान है, जिसको हम लॉ गार्डन नाइट मार्केट के नाम से जानते हैं। लॉ गार्डन का नाम लॉ कॉलेज के नाम से रखा गया था। यह जगह खरीदारों के लिए एक स्वर्ग है, जहां हस्तशिल्प, कपड़े, कई कला संग्रह, सहायक उपकरण, स्मृति चिन्ह और बहुत कुछ देखने को मिल सकता है।

लॉ गार्डन नाइट मार्केट में पारंपरिक गुजराती परिधानों, साड़ियाँ, चोली, चनिया और ज्वेलरी शामिल हैं। खरीदारी के अलावा, इस बाजार में खड़े-खड़े फ्रूट ट्रैकों का स्वादिष्ट गुजराती स्नेक का भी आनंद ले सकते हैं। नवरात्रि के दौरान यह बाजार सबसे व्यस्त रहने वाला मालूम पड़ता है।

इस लॉ गार्डन नाइट मार्केट में कोई भी खरीदी पे 50% तक डिस्काउंट मिल जाता है और इस मार्केट में ज्यादातर नक़द से व्यवहार चलता है। इस मार्केट के आसपास कोई भी वाहन रखने की जगह नहीं है।

9. मानेक चौक

मानेक को अंग्रेजी में रूबी बोला जाता है और संत मानेकनाथ के नाम से मानेक चौक का नाम रखा गया था। मानेक चौक भारत का दूसरा सबसे बड़ा आभूषण बाजार है। ये जगह सुबह के समय सोने और चांदी की खरीदी कर सकते हैं और रात के समय इस जगह पर खाने के लिए स्वर्ग में बदल जाती है। यह चौक पारंपरिक रूप से कीमती धातु और रत्नों के व्यापार के लिए सुप्रसिद्ध है।

मानेक चौक के अंदर कुल्फी, भाजी पाव, कई तरह के डोसा और पाइनएप्पल जैसे फूट भी शामिल हैं। यह बाजार केवल शाकाहारी भोजन ही परोसता है। अशर्फी कुल्फीवाला मानेक चौक में आपका डिनर कुल्फी खाए बिना पूरा नहीं हो सकता है, क्योंकि इस मानेक चौक में सबसे पहला फूड स्टॉल यही था और जब इस बाजार में लोग आने लगे, उसके बाद ज्यादा फूड स्टॉल खुलने लग गए।

10. साबरमती रिवरफ्रंट फ्लावर शो

अहमदाबाद नगर निगम द्वारा आयोजित साबरमती रिवरफ्रंट फ्लावर शो 20 दिनों तक लगातार रहता है, जिसमें ताजे खिले फूलों और उनकी खुशबू से पूरा अहमदाबाद शहर महक उठेगा। यह शो साबरमती रिवरफ्रंट फ्लावर पार्क में आयोजित होता है, जो एक खूबसूरत फूलों का वंडरलैंड बन जाता है।

यह प्रदर्शन 2013 से आयोजित होता जा रहा है और हर साल ओर भी आकर्षित बन चुका है। यहाँ पर पर्यटको को रंग-बिरंगे और हाइब्रिड फूलों का आनंद ले सकते हैं। इस फ्लावर शो का मुख्य उद्देश्य ये है कि फूलों और वृक्षारोपण के महत्व के प्रति पर्यटकों मन में जाग रूकता आये है।

इस रिवरफ्रंट फ्लावर शो में फूलों के बगीचे का कुल क्षेत्र 45,000 वर्ग मीटर है, जिसमें 330 से अधिक फूलों की प्रजातियाँ जाने को मिलती हैं। इस साल यानी 2024-25 के शो में 1.5 मिलियन जितने फूल लगाए गए हैं और प्रमुख आकर्षणों के रुप में सरदार पटेल की प्रतिमा, नई संसद भवन और दुनिया की सबसे लंबी फूलों की दीवार शामिल हैं।

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निष्कर्ष
आज के इस लेख में Ahemdabad me ghumne ki jagah के बारे मे जानकारी दी गई है।  अहमदबाद में जुम्मा मस्जिद ,  मानेक चौक , साबरमती  रिवारफंट  शो  आदि  का समावेश  इस   लेख में किया गया है।

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