पाटण गुजरात की पुरानी राजधानी है, जो राज्य की वर्त्तमान राजधानी से 85 किलोमीटर की दुरी पर आया हुआ शहर है। पाटण घूमने की जगह में शीर्ष पर्यटन स्थलों में से एक है जो अपनी पटोला सिल्क साड़ियों और patan ghumne ki jagah से पुरे गुजरात में प्रसिद्ध है।
पाटण पहले उतना जाना-पहचाना नहीं था और यहाँ के पर्यटन के बारे में बहुत कम जानकारी थी। लेकिन गुजरात सरकार ने पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए जो कदम उठाए, उसके बाद पाटण एक ऐसी जगह के रूप में उभरा है, जहाँ लोग घूमने के लिए आकर्षित हो रहे हैं। यहाँ हम शहर में घूमने के लिए कुछ प्रमुख स्थानों का विवरण प्रस्तुत कर रहे हैं, जो पर्यटकों के लिए एक अद्वितीय अनुभव का हिस्सा बन सकते हैं।
पाटण शहर का इतिहास – patan History In Hindi
patan itihas की बात करे तो वनराज चावड़ा ने 802 ई. में अणहिलपुर पाटण की स्थापना की, जिसे उनके मित्र अणहिल भरवाड़ के नाम पर रखा गया। यह शहर चावड़ा और सोलंकी वंश के शासनकाल में राजधानी के रूप में प्रसिद्ध था, जहाँ राजा भीमदेव, सिद्धराज जयसिंह, और कुमारपाल जैसे शक्तिशाली शासक रहे। पाटण में जैन विद्वान हेमचंद्राचार्य और शांति सूरी ने भी राज्य को मार्गदर्शन दिया।
पाटण के प्रमुख स्मारकों में सहस्त्रलिंग तालाब और रानी की वाव शामिल हैं, जो दोनों राष्ट्रीय धरोहर स्थलों के रूप में पहचान प्राप्त कर चुके हैं। रानी की वाव, 11वीं शताब्दी में राजा भीमदेव द्वारा उनकी रानी के लिए बनवाया गया था और 2014 में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल के रूप में सूचीबद्ध किया गया। पाटण में हेमचंद्राचार्य लाइब्रेरी, जैन मंदिर और कालिका माताजी मंदिर जैसे ऐतिहासिक स्थल भी महत्वपूर्ण हैं। शंखेश्वर जैन मंदिर और सिद्धपुर का रुद्र महालय भी प्रसिद्ध धार्मिक स्थल हैं।
पाटण में घूमने की जगह – Patan Ghumne Ki Jagah
रानी की वाव – Rani Ki Vav
patan ghumne wali jagah में रानी की वाव सबसे प्रसिद्ध और आकर्षक प्रमुख पर्यटन स्थल है, इस बावड़ी का निर्माण 1063 में चौलुक्य वंश की रानी उदयमती ने अपने पति भीमदेव प्रथम की याद में करवाया था। जैन भिक्षु मेरुतुंगा द्वारा 1304 में लिखी गई रचना में इसका उल्लेख है, जिसमें बताया गया है कि रानी उदयमती ने पाटणमें इसका निर्माण शुरू कराया था। यह निर्माण 20 वर्षों में पूरा हुआ था। 1890 के दशक में पुरातत्वज्ञ हेनरी कूसेंस और जेम्स बर्गेस ने इस स्थल का दौरा किया, जब यह गाद से ढकी हुई थी और केवल कुछ खंभे और शाफ्ट ही दिखाई दे रहे थे। 1940 के दशक में इस बावड़ी को फिर से खोजा गया, और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने 1980 के दशक में इसका पुनर्निर्माण किया। 2014 से इसे यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों में शामिल किया गया है।
रानी की वाव का इतिहास – Rani Ki Vav History In Hindi
सहस्त्रलिंग तालाब – Sahasralinga Talav
11 वी शताब्दी के अंत में सहस्त्रलिंग तालाब पाटण के उतर पश्चिम में चालुक्य वंश के राजा सिद्धराज जय सिंह के द्वारा निर्माण किया गया था। ये एक मानवसर्जित जल भंडारण है जो सरस्वती नदी के पानी से भरा जाता है। राजा की मृत्यु सहस्त्रलिंग तालाब खोदने वाली एक महिला के श्राप से के कारण हुई। इस तालाब के आसपास करीबन 365 शिवलिंग बने हुए है और अन्य देवताओ के मंदिर भी है। जब रानी की वाव की यात्रा के लिए पर्यटक आते है तब सहस्त्रलिंग तालाब जैसे अन्य स्थल भी घूमके जाते है।
महावीर स्वामी दैसर मंदिर
पाटण का महावीर स्वामी दैसर मंदिर गुजरात के पाटण जिले में स्थित एक प्रमुख जैन तीर्थ स्थल है, जो भगवान महावीर स्वामी को समर्पित है। यह मंदिर अपनी सुंदर वास्तुकला और धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ महावीर स्वामी के जन्म और निर्वाण दिवस पर विशेष पूजा और आयोजन होते हैं। यह स्थान जैन समुदाय के लिए पवित्र है और श्रद्धालुओं को शांति और आत्मिक संतोष प्रदान करता है।
कालिका माता मंदिर
कालिका मंदिर, जो सरस्वती नदी के किनारे पुराने पाटण के किले के प्रवेश द्वार पर स्थित है। 1,000 साल पहले सिद्धराज जयसिंह सोलंकी द्वारा बनवाया गया था। यह मंदिर न केवल एक ऐतिहासिक धरोहर है, बल्कि देवी कालिका की उपस्थिति ने पाटण के लोगों को सदियों से शक्ति और संरक्षण प्रदान किया है। इन सभी वर्षों में विभिन्न आक्रमणों, बचाव प्रयासों, पराजयों और धर्मांतरण के बावजूद, शहर के लोग अपनी संरक्षक देवी पर विश्वास बनाए रखते हैं। सिद्धराज जयसिंह सोलंकी द्वारा निर्मित इस मंदिर ने न केवल शहर की रक्षा की, बल्कि उसकी जीवित रहने की शक्ति को भी कायम रखा। आज भी लोग श्रद्धा और आस्था के साथ देवी को पूजा अर्चना अर्पित करते हैं, उनके आशीर्वाद से ही शहर का जीवन गतिमान है।
खान सरोवर – Khan Sarovar Patan
खान सरोवर पाटण के दक्षिणी भाग में स्थित है जो रानी की वाव का पर्यटन स्थल माना जाता है। उस समय गुजरात के गवर्नर खान मिर्ज़ा अज़ीज़ कोकख द्वारा जलाशय के रूप में खंडहर की संरचनाओं से पत्थरों का उपयोग करके निर्माण किया गया था। रानी की वाव की यात्रा पर आनेवाले पर्यटक खान सरोवर की यात्रा का भी आनंद लेते है।
हेमचंद्राचार्य ज्ञान मंदिर – Hemchandracharya Gyan Mandir
हेमचंद्राचार्य ज्ञान मंदिर गुजरात में स्थित एक महत्व पूर्ण ग्रंथालय और जैन धार्मिक शिक्षा केंद्र है। यह स्थान जैन धर्म के महान आचार्य हेमचंद्राचार्य की स्मृति को समर्पित है। ज्ञान मंदिर में संस्कृत और प्राकृत की लगभग 25000 प्राचीन पांडुलिपियाँ हैं जो पाटण की संस्कृत और प्राकृत भाषा सीखने के लिए एक आदर्श स्थान माना जाता है। ज्ञान मंदिर में संस्कृत और प्राकृत की लगभग 25000 प्राचीन पांडुलिपियाँ हैं।
पटोला साड़ी गुजरात – Patola Saree
पाटण में स्थित पटोला हाउस जहा पटोला साड़ियों मानव द्वारा उसकी बनावट की जाती है। दुनियाभर मे प्रसिद्ध पटोला साडी को क्षत्रिय और राजपूतानी महिलाए ज्यादा पसंद करती है। पटोला साडी की बनावट में बहुत ज्यादा समय लगता है क्योकि उसकी बुनाई जटिल होती है। पटोला साडी की किंमत कमसे कम 20000 से शरुआत होती है जो बादमे उसकी कीमत लाखो तक पहुंचती है।
निष्कर्ष :
पाटण न केवल ऐतिहासिक महत्व रखता है, बल्कि यहाँ की वास्तुकला और प्राचीन धरोहरों के माध्यम से भारतीय सांस्कृतिक धारा को समझने का अद्वितीय अवसर प्रदान करता है। रानी की वाव जैसी स्थल विशेष रूप से अपने समय की उन्नत इंजीनियरिंग और वास्तुकला को दर्शाती है, जबकि अन्य मंदिर और मस्जिद इस क्षेत्र की धार्मिक विविधता और सांस्कृतिक समृद्धि को दर्शाते हैं। पाटण का यात्रा करने से आपको भारतीय इतिहास, कला, और वास्तुकला की गहरी समझ प्राप्त होती है, और यह एक प्रेरणादायक अनुभव हो सकता है। इसलिए, पाटण एक ऐतिहासिक यात्रा के इच्छुक पर्यटकों के लिए एक आदर्श स्थल है।