भारत को मंदिरों का देश कहा जाता है यहां के मंदिर लोगों की श्रद्धा और भक्ति का केंद्र होते हैं जो हजारों किमी दूर से लोगों को खींचते हैं। यहां हजारों मंदिर हैं जिनका अपना इतिहास और रहस्य है जिनसे आज तक कोई पर्दा नहीं उठा सका। इनमें से एक है आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में स्थित tirupati balaji mandir भारत के प्रमुख और पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक है और यह भारत का एक अमीर मंदिर भी है। चमत्कारों और रहस्यों से भरपूर यह मंदिर न केवल भारत में प्रसिद्ध है बल्कि पूरे विश्व में भी मशहूर है। इस मंदिर के मुख्य देवता श्री वेंकटेश्वर स्वामी है जिन्हें भगवान विष्णु के अवतार माना जाता है और वे तिरुमाला पर्वत पर अपनी पत्नी पद्मावती के साथ निवास करते हैं।
तिरुपति बालाजी मंदिर का इतिहास-tirupati balaji temple history
tirupati balaji mandir को सेवन हिल्स का मंदिर भी कहा जाता है। इस मंदिर का निर्माण करीब तीसरी शाताब्दी के आसपास में हुआ है और इसका निर्माण समय-समय पर विभिन्न वंशों के शासकों द्वारा जीर्णोद्धार किया गया है। 5वीं शताब्दी तक इस मंदिर ने सनातन धर्म के प्रमुख केंद्र के रूप में बढ़त चढ़त किया। इस मंदिर की उत्पत्ति का श्रेय वैष्णव संप्रदाय को जाता है। 9वीं शताब्दी में कांचीपुरम के पल्लव शासकों ने इसे अपने अधीन किया था। 15वीं शताब्दी के बाद इस मंदिर को प्रसिद्धि मिली और यह प्रसिद्धि आज भी बरकरार है।
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तिरुपति बालाजी केश-दान की परंपरा
इस परंपरा के अनुसार वे भक्त जिनकी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। मंदिर में आकर वेंकटेश्वर स्वामी को अपने बालों का दान करते हैं। इस मंदिर के बावजूद दक्षिण में होने पर भी यहां से पूरे देश की आस्था जुड़ी हुई है। यह प्रथा कई शताब्दियों से चली आ रही है और आज भी भक्त इसे मानते हैं। इस मंदिर की विशेषता यह है कि यहां पुरुषों के साथ ही महिलाएं और युवतियां भी भक्ति भाव से अपने बालों का दान करती हैं।
तिरुपति बालाजी में केश दान करने की कहानी
पौराणिक किवदंती के अनुसार प्राचीन काल में भगवान tirupati balaji की मूर्ति पर चीटियों ने बांबी बना दी थी जिसके कारण वह किसी को दिखाई नहीं देती थी। इस परिस्थिति में रोज एक गाय आती और अपने दूध से मूर्ति का जल-अभिषेक कर चली जाती थी। जब गाय मालिक को इस बारे में पता चला तो उसने गाय को मार दिया जिससे मूर्ति के सिर से खून बहने लगा। तब एक महिला ने अपने बाल काटकर बालाजी के सिर पर रख दिया। उसके बाद भगवान प्रकट हुए और महिला से कहा यहां आकर जो भी मेरे लिए अपने बालों का त्याग करेगा उसकी हर इच्छा पूरी होगी।इसके बाद से यह केश-दान की परंपरा चली आ रही है।
तिरुपति बालाजी मंदिर की पौराणिक मान्यता
भगवान विष्णु ने कुछ समय के लिए स्वामी पुष्करणी नामक सरोवर के किनारे निवास किया था। जो तिरुमाला के पहाड़ी पर स्थित है। इसके कारण तिरुपति के चारों ओर स्थित पहाड़ियां शेषनाग के सात फनों के आधार पर बनी ‘सप्तगिरि’ कहलाती हैं। इस मंदिर का स्थान सप्तगिरि की सातवीं पहाड़ी पर है। जिसे वेंकटाद्री भी कहा जाता है। मंदिर में स्थित प्रभु की प्रतिमा किसी द्वारा बनाई नहीं गई है बल्कि यह स्वयं ही उत्पन्न हुई है।
तिरुपति बालाजी की कहानी-tirupati balaji story
एक दिन भगवान विष्णु और उनकी पत्नी लक्ष्मी क्षीर सागर में अपने शेषशैय्या पर विश्राम कर रहे थे। इसी समय ऋषि भृगु आए और अपने पाद से विष्णु की छाती पर एक लात मारी। देवी लक्ष्मी ऋषि भृगु द्वारा भगवान विष्णु के अपमान को सहन करने में असमर्थ हो गईं और वैकुण्ठ छोड़ गईं। उनका जन्म बेटी पद्मावती के रूप में पृथ्वी पर हुआ था।
पद्मावती बड़ी होकर एक सुंदर और प्रतिभाशाली लड़की बनी। पृथ्वी पर tirupati balaji की माता वकुलमालिका को पता था कि उनका पुत्र कोई और नहीं बल्कि स्वयं विष्णु थे। उसने राजा से मिलने का फैसला किया। राजा और रानी इस भाग्यशाली घटना से खुश थे। पद्मावती और वेंकटेश्वर की शादी भव्य तरीके से मनाई गई। आज भी तिरुपति मंदिर में मूर्ति को आधा पुरुष और आधा महिला के वस्त्रों में ढका जाता है।
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tirupati balaji mandir के प्रसाद का वर्णन
tirupati balaji temple दक्षिण भारतीय वास्तुकला और शिल्प कला का अद्भुत उदाहरण है। इस मंदिर से 23 किमी. दूर एक गांव है जहां बाहरी व्यक्तियों का जाना वर्जित है। यहां के लोग बहुत नियम और संयम के साथ रहते हैं। मान्यता है कि बालाजी को चढ़ाने के लिए फल, फूल, दूध, दही, और घी सब इसी गांव से आता है। इस गांव में सदियों से परंपरा चली आ रही है और यहां की महिलाएं कभी भी सिले हुए वस्त्र धारण नहीं करती हैं।
तिरुपति बालाजी मंदिर के महत्वपूर्ण तथ्य
⦁ मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश करते ही दाई ओर एक छड़ी रखी है, जिसे कहा जाता है कि बालाजी की मां उसी छड़ी से उनकी पिटाई करती थी।
⦁ पिटाई के दौरान ही उनकी ठुड्डी पर चोट लग गई थी जिस पर उनकी मां ने वह चंदन का लेप लगाया था जो आज भी प्रथा के रूप में जारी है।
⦁ वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर की मूर्ति में आत्मा का निवास करते हैं, इसलिए मूर्ति के सिर पर लगे बाल असली और अपने आप में उलझे नहीं होते बल्कि मुलायम और शांत रहते हैं।
⦁ मूर्ति के कान पर ध्वनि सुनने पर समुद्री लहरों की गुंजन सुनाई देती है और मूर्ति में हमेशा नमी बनी रहती है।
⦁ मंदिर में एक दीपक है जो कई शताब्दियों से बिना किसी तेल या घी के जलता रहा है। इस बात का रहस्य है।
⦁ मूर्ति को गर्भ गृह में प्रवेश करने पर मध्य में स्थित दिखाई देती है, लेकिन गर्भ गृह के बाहर से देखने पर मूर्ति दाई ओर स्थित दिखाई देती है।
⦁ वेंकटेश्वर स्वामी की मूर्ति पर पचाई कपूर लगाई जाती है। विज्ञान के मुताबिक पचाई कपूर के इस उपयोग से पत्थर कुछ समय बाद चटक जाना चाहिए लेकिन वर्षों से tirupati balaji की मूर्ति पर यह कपूर लगाने के बावजूद भी आज भी मूर्ति पूरी तरह सुरक्षित है।
⦁ प्रत्येक गुरुवार को तिरुपति जी की मूर्ति का चंदन श्रृंगार किया जाता है और जब यह चंदन लेप हटाया जाता है तो मूर्ति के ह्रदय के पास माता लक्ष्मी की प्रतिमा प्रकट होती है।
⦁ यह मान्यता है कि माता लक्ष्मी बालाजी में ही समाहित होती है। इसलिए प्रतिदिन मूर्ति के श्रृंगार के समय नीचे धोती और ऊपर साड़ी पहनाई जाती है।
⦁ tirupati balaji की मूर्ति एक काले पत्थर से निर्मित है जो देखने पर एक जीवंत मूर्ति की तरह प्रतित होती है। गर्भगृह का वातावरण काफी ठंडा रखा जाता है। लेकिन फिर भी मूर्ति पर पसीने की बूंदें नजर आती हैं। मान्यता है कि बालाजी को अत्यधिक गर्मी महसूस होती है जिससे उनकी पीठ भी हमेशा नम रहती है।
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tirupati balaji darshan VIP दर्शन
tirupati balaji mandir में वीआईपी दर्शन करने की योजना है। तो सबसे पहले आपको मंदिर की आधिकारिक वेबसाइट पर जाना होगा tirumala.org online booking करना होगा। वहां से सामान्य जानकारी देने के बाद लॉगइन करें और वीआईपी दर्शन करने की तारीख का चयन करें। इसके लिए प्रति व्यक्ति 300 रुपये का शुल्क देना होगा और अगर आप प्रसाद के रूप में लड्डू लेना चाहते हैं तो प्रति लड्डू के लिए आपको अतिरिक्त 50 रुपये देने होंगे।
निष्कर्ष
आज के लेख आपको तिरुपति बालाजी मंदिर से जुड़ी सभी जानकारी प्रदान की अगर आपको tirupati balaji mandir लेख पसंद आया हो तो कॉमेंट करके जरूर बताएं।