महात्मा गांधी साबरमती आश्रम: इतिहास, महत्व और यात्रा गाइड

महात्मा गांधी साबरमति आश्रम गुजरात के अहमदाबाद में साबरमती नदी के तट पर स्थित एक ऐतिहासिक स्थल है, जो भारत की स्वतंत्रता की लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। महात्मा गांधी द्वारा 1915 में स्थापित यह आश्रम सत्य, अहिंसा और आत्मनिर्भरता के सिद्धांतों का केंद्र बना। यहां गांधीजी ने अपने जीवन के कई महत्वपूर्ण वर्ष बिताए और भारत के स्वतंत्रता आंदोलन को नई दिशा दी। आइए, साबरमती आश्रम के इतिहास, महत्व और इसकी विरासत के बारे में विस्तार से जानते हैं।

साबरमती आश्रम का इतिहास – Sabarmati Ashram History In Hindi

साबरमती आश्रम की स्थापना महात्मा गांधी ने 25 मई 1915 को की थी। शुरुआत में यह आश्रम अहमदाबाद के कोचरब क्षेत्र में स्थित था, लेकिन 1917 में इसे साबरमती नदी के तट पर स्थानांतरित कर दिया गया। यह स्थान गांधीजी के लिए आत्मनिर्भरता और सादगी का प्रतीक बना। यहां उन्होंने खेती, पशुपालन और खादी से जुड़ी गतिविधियों को बढ़ावा दिया।

sabarmati ashram भारत के स्वतंत्रता संग्राम का केंद्र बना। 1930 में यहीं से गांधीजी ने दांडी मार्च शुरू किया, जो ब्रिटिश नमक कानून के विरोध में एक ऐतिहासिक आंदोलन था। गांधीजी ने यह प्रतिज्ञा की थी कि वे भारत की आजादी के बाद ही आश्रम लौटेंगे, लेकिन 1948 में उनकी हत्या के कारण यह संभव नहीं हो पाया।

साबरमती आश्रम के बारे में रोचक तथ्य – Sabarmati Ashram Rochak Tathya

स्थापना: साबरमती आश्रम, जिसे पहले गांधी आश्रम के नाम से जाना जाता था, आश्रम की स्थापना महात्मा गांधी ने 25 मई, 1915 को दक्षिण अफ्रीका से वापस लौटने के बाद गुजरात के अहमदाबाद स्थित कोचरब क्षेत्र में वकील जीवनलाल देसाई के बंगले में की थी।

स्थान परिवर्तन: गांधीजी ने आत्मनिर्भरता और सादगी को बढ़ावा देने के उद्देश्य से जून 1917 में आश्रम को साबरमती नदी के किनारे स्थानांतरित कर दिया। वहाँ उन्होंने खेती, पशुपालन और खादी जैसी गतिविधियों पर विशेष ध्यान केंद्रित किया।

उद्देश्य: गांधीजी शारीरिक मेहनत, कृषि और शिक्षा के माध्यम से आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना चाहते थे। आश्रम में एक विद्यालय भी था, जहाँ उनके सत्य और अहिंसा के सिद्धांत पढ़ाए जाते थे।

लक्ष्य: साबरमती आश्रम का मुख्य उद्देश्य सत्य की खोज को प्रोत्साहित करना और अहिंसात्मक समाज का निर्माण करना था, जिसमें गांधीजी के सत्याग्रह (सविनय अवज्ञा) और स्वतंत्रता संग्राम के मूल सिद्धांतों को अपनाया गया था।

नाम परिवर्तन: प्रारंभ में सत्याग्रह आश्रम के रूप में पहचाने जाने वाला यह आश्रम, स्थानांतरित होने के बाद साबरमती आश्रम कहलाया। गांधीजी के अस्पृश्यता उन्मूलन प्रयासों के कारण इसे हरिजन आश्रम के नाम से भी जाना गया।

ऐतिहासिक जड़ें: ऋषि दधीचि के आश्रम के प्रांगण में स्थित साबरमती आश्रम अपने ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व के लिए जाना जाता है। यह स्थान त्याग और आध्यात्मिक दृढ़ता का प्रतीक माना जाता है।

साहित्यिक विरासत: 1920 के दशक में महात्मा गांधी ने साबरमती आश्रम में अपनी आत्मकथा, “सत्य के प्रयोग” लिखना शुरू किया। इस पुस्तक में उन्होंने अपने विचारों और जीवन के अनुभवों को साझा किया, जो आज भी प्रेरणादायक माने जाते हैं।

गांधी स्मारक संग्रहालय: आश्रम परिसर में स्थित इस संग्रहालय का उद्घाटन 1963 में हुआ था। इसमें गांधीजी से जुड़े लेख, तस्वीरें और फिल्मों का एक विशाल संग्रह है, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए उनकी विरासत को सुरक्षित रखने का काम करता है।

दांडी मार्च: 12 मार्च 1930 को साबरमती आश्रम से ऐतिहासिक दांडी मार्च की शुरुआत हुई, जो ब्रिटिश नमक कानून के विरोध में आयोजित किया गया था। यह मार्च भारत के स्वतंत्रता संग्राम को गति देने वाला साबित हुआ और प्रतिरोध का एक प्रतीक बन गया।

गांधीजी की प्रतिज्ञा: गांधीजी ने यह वचन दिया था कि वे भारत की आज़ादी के बाद ही आश्रम लौटेंगे। हालांकि, देश को 1947 में स्वतंत्रता मिल गई, लेकिन 1948 में उनकी हत्या हो गई,  जिससे वे वापस नहीं आ पाए।

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साबरमती आश्रम में घूमने लायक की जगहे – Sabarmati Ashram Me Ghumne Ki Jagah

Sabarmati Ashram History In Hindi

1. हृदय कुंज : यह स्थान गांधीजी का पूर्व निवास था, जहाँ वे अपनी पत्नी कस्तूरबा गांधी के साथ रहा करते थे। आगंतुक यहाँ गांधीजी के मूल आवास और उनसे जुड़ी व्यक्तिगत वस्तुओं को देख सकते हैं।
 
2. उपासना मंदिर : यह प्रार्थना कक्ष वह स्थान है जहाँ लोग प्रार्थना और ध्यान के लिए एकत्र होते थे। यह स्थान गांधीजी के अनुयायियों के लिए आध्यात्मिक दृष्टि से बहुत महत्व रखता है।
 
3. मगन निवास : गांधीजी के करीबी सहयोगी मगनलाल गांधी के सम्मान में बने इस भवन का उपयोग आश्रम के मेहमानों और स्वयंसेवकों के लिए अतिथि निवास के रूप में किया जाता था।
 

4. गांधी स्मारक संग्रहालय : यह संग्रहालय गांधीजी के जीवन, उनके दर्शन और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान की विस्तृत जानकारी प्रस्तुत करता है। इसमें गांधीजी से जुड़े दुर्लभ दस्तावेज़ और स्मृति चिन्ह भी संग्रहित है। 

5. विनोबा कुटीर : यह स्थान विनोबा भावे का निवास था, जो गांधीजी के प्रमुख अनुयायी और भारत के सामाजिक सुधार आंदोलनों में एक महत्वपूर्ण योगदानकर्ता थे।

साबरमती आश्रम के खुलने का समय – Sabarmati Ashram Khulne Ka Samay

साबरमती आश्रम पर्यटकों के लिए प्रतिदिन सुबह 8:30 बजे से शाम 6:30 बजे तक खुला रहता है। हालांकि, यात्रा की योजना बनाने से पहले आश्रम के खुलने के समय की पुनः जाँच कर लेना उचित है, क्योंकि विशेष कार्यक्रमों या छुट्टियों के कारण समय में परिवर्तन हो सकता है।

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साबरमती आश्रम कैसे पहुँचें? – Sabarmati Ashram Kaise Pahunche

सड़क मार्ग : 

सड़क मार्ग से साबरमती आश्रम पहुँचने के लिए, पहले अपने स्थान से आश्रम तक की दूरी और सबसे उपयुक्त मार्ग का पता लगाएँ। आश्रम अहमदाबाद में स्थित है, जहाँ कार या बस द्वारा आसानी से पहुँचा जा सकता है। गुजरात में उत्कृष्ट सड़क मार्ग हैं, जो अहमदाबाद को अन्य शहरों और कस्बों से जोड़ते हैं। राज्य द्वारा संचालित और निजी बस सेवाएँ उपलब्ध हैं, जो गुजरात के छोटे शहरों के बीच यात्रा को सुविधाजनक बनाती हैं। अहमदाबाद पहुँचने के बाद, आप स्थानीय परिवहन का उपयोग कर सकते हैं या शहर के प्रसिद्ध आकर्षण साबरमती आश्रम तक कार से जा सकते हैं।

ट्रेन मार्ग :

ट्रेन द्वारा आश्रम तक पहुँचने के लिए, पश्चिमी रेलवे नेटवर्क के अहमदाबाद स्टेशन का उपयोग करें। यह स्टेशन कालूपुर जिले में स्थित है और राष्ट्रीय रेलवे नेटवर्क का एक प्रमुख केंद्र है। यह भारत के विभिन्न बड़े शहरों से जुड़ा हुआ है, जिससे यह साबरमती आश्रम आने वाले यात्रियों के लिए एक सुविधाजनक विकल्प बन जाता है।

हवाईजहाज मार्ग : 

हवाई मार्ग से साबरमती आश्रम पहुँचने के लिए, अहमदाबाद के सरदार वल्लभभाई पटेल अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरें। यह हवाई अड्डा गुजरात को भारत के प्रमुख शहरों और कई अंतर्राष्ट्रीय स्थलों से जोड़ता है।

निष्कर्ष : आज के लेख में sabarmati ashram history in hindi में आपको विस्तृत जानकारी प्रदान की अगर आपको यह लेख पसंद आया हो तो कमेंट करे और अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करे। 

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