भगवान विष्णु के अवतार राम की की जन्म भूमि यानी की अयोध्या। अयोध्या असंख्य महापुरुषों की कर्मभूमि है। ayodhya हिन्दुओं का पवित्र और महत्वपूर्ण स्थान है क्योकि यहाँ भगवान राम का जन्म हुआ था। इसलिए यहां ayodhya ram mandir का निर्माण करवाया जा रहा है। पूर्व में भी भव्य ram mandir ayodhya में था लेकिन मुस्लिम आक्रमण कारियोने तोड़ दिया था। चलिए ram mandir के बारे में विस्तार से जानते है ।
अयोध्या राम मंदिर का इतिहास-ayodhya ram mandir
सनातन धर्म में भगवान विष्णु के सातवें अवतार के रूप में श्रीराम को माना जाता है। वे एक प्रमुख राजा थे और उन्हें दुनियाभर में व्यापक रूप से पूजा जाता है। प्राचीन महाकाव्य वाल्मीकि रामायण में उनका जन्म त्रेतायुग में अयोध्या में घटित हुआ था। उनके जन्मस्थल को “राम जन्मभूमि” के नाम से जाना जाता है।
कहा जाता है कि 15वीं शताब्दी में मुगल शासकों ने राम जन्मभूमि पर एक मस्जिद का निर्माण करवाया था। हिन्दू समुदाय का दावा है कि मुगलों ने इस मस्जिद का निर्माण करने के लिए राम मंदिर को ध्वस्त किया था। इस दावे के बाद सन 1850 से इस मामले में विवाद शुरू हुआ। इसके बाद कई बार विश्व हिन्दू परिषद् ने विवादित स्थान पर श्रीराम मंदिर के निर्माण की घोषणा की।
1990 के दशक में, विश्व हिन्दू परिषद् ने “श्री राम” लिखी ईंटें और धनराशि एकत्र की। एक समय पर सरकार ने विश्व हिन्दू परिषद् को मंदिर बनाने की अनुमति दी थी लेकिन कुछ कारणों के कारण वहां मंदिर का निर्माण नहीं हो सका। इस दौरान मंदिर के विवाद बढ़ गया और 1992 में इस विवाद ने हिंसक रूप लिया। 1992 में बाबरी मस्जिद के विवादित स्थल को गिरा दिया गया।
इसके बाद 2019 में भारतीय सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने फैसला सुनाया कि विवादित स्थल को सरकार एक ट्रस्ट को सौंप दे। उसके बाद सरकार ने श्रीराम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट का गठन किया और उस जमीन को ट्रस्ट को सौंप दी है। ट्रस्ट ने मार्च 2020 से श्रीराम मंदिर के निर्माण कार्य की शुरुआत की है जिसके आने वाले साल 2024 में पूरा होने की संभावना है।
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राम मंदिर के वास्तुकार
अयोध्या राम मंदिर निर्माण के लिए 1988 में सबसे पहले राम मंदिर की डिज़ाइन अहमदाबाद के सोमपुरा परिवार द्वारा तैयार की गई थी। सोमपुरा परिवार के लोग पिछले 15 पीढ़ियों से मंदिरों की डिज़ाइन बना रहे हैं और अब तक 100 से ज्यादा मंदिरों की डिज़ाइन बना चुके हैं।
2020 में जब राम मंदिर का निर्माण शुरू हुआ तो मंदिर की पुरानी डिज़ाइन में कुछ बदलाव किए गए और उसी के आधार पर राम मंदिर का निर्माण किया जा रहा है। राम मंदिर 235 फीट चौड़ा 360 फीट लंबा और 161 फीट ऊँचा होगा। यह मंदिर नागर शैली में बनाया जा रहा है जो भारतीय मंदिर निर्माण की वास्तुकला के प्रकारों में से एक है। इस मंदिर के मुख्य वास्तुकार चंद्रकांत सोमपुरा और उनके दो बेटे निखिल सोमपुरा और आशीष सोमपुरा हैं।
सभी वास्तुकारों ने मंदिर परिसर में प्रार्थना कक्ष, राम कथा कुंज, वैदिक पाठशाला, संत निवास, यति निवास, संग्रहालय, और कैफेटेरिया को डिज़ाइन किया है। मंदिर के साथ इनका निर्माण भी किया जा रहा है। अयोध्या का राम मंदिर बेहद विशाल होगा और जब यह पूरी तरह से तैयार हो जाएगा तो यह दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा हिंदू मंदिर माना जाएगा।
राम मंदिर शिलान्यास समारोह
2020 में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर का शिलान्यास भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 5 अगस्त को दोपहर 12 बजे किया। इस मौके पर पीएम मोदी ने चांदी की ईंट की शिला की स्थापना की। पहले इससे पहले श्रीराम जन्मभूमि पर पंडितों ने एक तीन दिवसीय वैदिक अनुष्ठान किया। इसके दौरान भगवान राम की पूजा की गई और मंदिर के शिलान्यास में सभी प्रमुख देवी-देवताओं को आमंत्रित किया गया।
भारत के कई धार्मिक स्थलों से मिट्टी और पवित्र जल लाया गया। इसमें पाकिस्तान की शारदा पीठ से भी मिट्टी शामिल है। गंगा, सिन्धु, यमुना, सरस्वती, और कावेरी नदी का जल भी अर्पित किया गया। इस अवसर पर अयोध्या में मंदिरों में 7,000 से अधिक दीपक जलाए गए। अयोध्या में भगवान राम का मंदिर 2.7 एकड़ भूमि पर बन रहा है जिसमें 54,700 वर्गफुट क्षेत्र शामिल है।
राम मंदिर का पूरा परिसर लगभग 70 एकड़ भूमि पर तैयार हो रहा है। जिसमें इतनी जगह होगी कि लाखों भक्त एक साथ मंदिर में भगवान राम के दर्शन कर सकेंगे। राम मंदिर का निर्माण राजस्थान के बंसी पर्वत के बलुआ पत्थरों से किया जा रहा है और इसका निर्माण लार्सन और टब्रो कंपनी द्वारा किया जा रहा है।
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राम मंदिर की डिजाइन
चंद्रकांत सोमपुरा ने अपने बेटों के साथ राम मंदिर का डिजाइन बनाया है। चंद्रकांत सोमपुरा को साल 1992 में इस मंदिर के डिजाइन बनाने के लिए नियुक्त किया गया था। इस मंदिर की नागर शैली में बनी जाने वाली डिज़ाइन में प्रवेश द्वार पूर्व की ओर होगा। जो गोपुरम शैली को प्रतिनिधित करेगा। मंदिर की दीवारों पर भगवान राम के जीवन को दर्शाने वाली कलाकृतियाँ प्रदर्शित होंगी।
राम मंदिर का आकार
मंदिर का आकार मौजूदा संरचना से तीन गुना बड़ा होगा। मंदिर का गर्भगृह अष्टकोणीय आकार में होगा जबकि संरचना की परिधि गोलाकार होगी। गर्भगृह मकराना मार्बल से निर्मित हो रहा है। मंदिर की ऊंचाई 161 फीट होगी जिसमें पांच गुंबद और एक टावर शामिल होंगे। मंदिर को तीन मंजिलों का निर्माण किया जा रहा है। गर्भगृह का डिज़ाइन इस तरह किया गया है कि सूर्य की किरणें सीधे रामलला पर पड़ें।
रामलला भगवान श्रीराम के शिशु अवतार हैं। मंदिर में गर्भगृह की तरह गृह मंडप पूरी तरह से आवरण किया गया होगा, जबकि कीर्तन मंडप, नृत्य मंडप, रंग मंडप, और दो प्रार्थना मंडप खुले रहेंगे। ram mandir construction शुरू होगा तो मंदिर में विभिन्न दरवाजे और खिड़कियाँ भी सागौन की मजबूत लकड़ी से बनाई जाएंगी जिनकी उम्र लगभग सौ वर्ष के आसपास होती है। ये लकड़ियाँ महाराष्ट्र के चंद्रपुर से आई हैं और पहली शिपमें अयोध्या पहुँच चुकी हैं। 26 से 30 जून के बीच अनुष्ठान के बाद, कुशल कारीगरों द्वारा मंदिर के लिए दरवाजे और खिड़कियाँ बनाई जाएंगी।
भगवान राम की मूर्ति
मंदिर में दो भगवान की मूर्तियाँ रखी जाएंगी। पहली मूर्ति वास्तविक होगी जो 1949 में प्राप्त की गई थी और दशकों तक तंबू में सुरक्षित रही है। दूसरी मूर्ति की निर्माण कार्य चल रहा है और इसके लिए नेपाल से शालिग्राम की दो शिलाएं अयोध्या लाई गई हैं। इन शिलाओं को नेपाल के मुस्तांग जिले से लाया गया था और कहा जाता है कि ये शिलाएं छह करोड़ साल पुरानी हैं। इन शिलाओं का वजन 26 टन और 14 टन है।
काली गण्डकी नदी के किनारे पाए जाने वाले शिलाओं को “शालिग्राम” कहा जाता है और ये बहुत प्रसिद्ध हैं। सनातन धर्म में इन शिलाओं को भगवान विष्णु के प्रतीक के रूप में माना जाता है।और इनकी पूजा सभी घरों में की जाती है। महासचिव चंपत राय श्री राम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र के इन शिलाओं से भगवान श्रीराम की मूर्ति बनाने की प्रार्थना की थी जिसे ट्रस्ट और भारत की जनता ने स्वीकार किया है।
चंपत राय ने हाल ही में मीडिया को बताया है कि मंदिर में भगवान राम की पांच वर्ष की आयु की मूर्ति की स्थापना की जाएगी। जिसका स्वरूप बाल्मीकि रामायण से लिया गया है। उन्होंने कहा कि सितंबर तक मंदिर के गर्भगृह का निर्माण पूरा कर लिया जाएगा। और अक्टूबर तक रामलला की मूर्ति तैयार की जाएगी।
राम मंदिर का घंटा
मंदिर में एक विशाल घंटा लगाया जाएगा जिसका वजन 2100 किलोग्राम होगा और यह 6 फीट ऊँचा और 5 फीट चौड़ा होगा। इसके साथ ही ayodhya ram mandir में विभिन्न आकार के 10 छोटे घंटे भी लगाए जाएंगे जिनका वजन 500, 250 और 100 किलोग्राम होगा।
घंटों का निर्माण पीतल और अन्य धातुओं के मिश्रण से किया जाएगा। यह कार्य जलेसर, एटा की सावित्री ट्रेडर्स फर्म द्वारा किया जा रहा है। एटा का जलेसर घुंघरू और घंटी उद्योग के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध है और यहाँ के लोग पीढ़ी दर पीढ़ी इन उत्पादों का निर्माण कर रहे हैं। कई देश के मंदिरों में जलेसर के घंटे लगे होते हैं।
राम मंदिर का दान
अयोध्या में भगवान राम के मंदिर निर्माण के लिए श्रद्धालु लगातार दान दे रहे हैं। ayodhya ram mandir में प्रतिमाह करोड़ों रुपये के रूप में दान मिल रहा हैं। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के कार्यालय प्रभारी प्रकाश गुप्ता ने बताया है कि वर्तमान में रामलला के बैंक खाते में हर महीने एक से डबल करोड़ रुपये के रूप में दान आ रहे हैं।
जबकि दानपात्र में दिन-प्रतिदिन 60 से 70 लाख रुपये देखरेख के साथ भक्तों द्वारा दिए जा रहे हैं। मंदिर निर्माण के साथ-साथ दान में वृद्धि की आशंका है। वर्तमान में रामलला की दर्शन के लिए प्रतिदिन 50 हजार श्रद्धालु आते हैं।और मंदिर का निर्माण पूरा होने के बाद यहां प्रतिदिन 1 लाख श्रद्धालु आने की संभावना है।
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अयोध्या राम मंदिर स्थापना की तारीख-ram mandir opening date
ayodhya ram mandir opening date और राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह 22 जनवरी है। हालांकि इस भव्य उद्घाटन समारोह की तैयारी 15 जनवरी को शुरू होगी। अयोध्या राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हाजर रहेंगे।
अयोध्या राम मंदिर की रोचक बातें
- 1528-1529: मुगल बादशाह बाबर ने बाबरी मस्जिद का निर्माण आरंभ किया।
- 1850: भूमि के मामले में सांप्रदायिक हिंसा की शुरुआत हुई।
- 1949: मस्जिद के अंदर एक राम की प्रतिमा पाई गई, जिससे साम्प्रदायिक टेंशन बढ़ गई।
- 1950: मूर्ति पूजा की अनुमति के लिए फैजाबाद सिविल कोर्ट में दो मुकदमे दर्ज किए गए।
- 1961: यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने मूर्ति को हटाने की दिशा में आग्रह किया।
- 1986: जिला अदालत ने हिंदू उपासकों के लिए स्थल को खोला।
- 1992: 6 दिसंबर को बाबरी मस्जिद को ढ़ेर किया गया।
- 2010: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विवादित क्षेत्र को सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला के बीच तीन हिस्सों में विभाजित करने का आदेश दिया।
- 2011: सर्वोच्च न्यायालय ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश को रोक दिया।
- 2016: सुब्रमण्यम स्वामी ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की और राम मंदिर के निर्माण की मांग की।
- 2019: सुप्रीम कोर्ट ने माना कि अयोध्या भगवान राम की जन्मभूमि थी और विवादित 2.77 एकड़ भूमि को एक ट्रस्ट को सौंपने का आदेश दिया, सरकार को वैकल्पिक स्थल के रूप में सुन्नी वक्फ बोर्ड को 5 एकड़ ज़मीन देने का।
- 2020: प्रधानमंत्री मोदी ने भूमि पूजन किया और शिला न्यास किया।
अयोध्या में हो रहा है चहुमुखी विकास
श्रीराम के दर्शन करने आने वाले भक्तों को किसी भी प्रकार की कठिनाइयों का सामना नहीं करना पड़े इस दरियादिली से, उत्तर प्रदेश सरकार ने कठिनाइयों को कम करने का कदम उठाया है। अब तक उत्तर प्रदेश सरकार ने अयोध्या में 32 हजार करोड़ रुपये के विकास परियोजनाओं की शुरुआत की है। जिसका उद्देश्य अयोध्या को एक आकर्षक नगर बनाना है। साथ ही अयोध्या में एक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा भी बनाया जा रहा है। ताकि यात्री आसानी से आ सकें। इसके साथ ही अयोध्या के रेलवे स्टेशन को आधुनिक बनाने के साथ ही मठ-मंदिरों को सुंदरीकृत करने और शहर में फोर लेन और सिक्स लेन मार्ग निर्मित करने का काम भी प्रगति पर है।
निष्कर्ष
आज के लेख में भगवान के धाम ayodhya ram mandir के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान की। अगर आप भी भगवान श्री राम को मानते है तो यह लेख अपने दोस्तो के साथ शेयर करे ताकि वह भी यह जानकारी पा सके। जय श्री राम।